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हमारा ब्लॉग आयुर्वेद से संबंधित है और हम हर प्रकार की बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक सलाह देते हैं| यदि आपको बीमारियों से संबंधित आयुर्वेदिक उपचार की आवश्यकता है तो आप हमारा ब्लॉक फॉलो कर सकते हैं|

योग करने का सही समय कब होता है?

1. सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है 2. खाना खाने के कुछ घंटे बाद ही योग अभ्यास करें 3. योग शुरू करने के पहले खुद को तनावमुक्त और मन को शांत कर लें 4. चुने हुए समय पर ही नियम से योग करें 5. शरीर में आए बदलाव को अनुभव करने के लिए नियमित रूप से योग करें 6. योग का अभ्यास ज़्यादा न करें

माँ के दूध को बढ़ाते हैं घरेलु उपाय


माँ का अपने बच्चे को दूध पिलाना ममता से भरा और प्रकृति का नियम हैं। माँ का दूध बच्चे के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता हैं। माँ का पहला पीला दूध बच्चे को जानलेवा बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता हैं। और तो और स्तनपान करवाने से माँ और बच्चे में एक भवनात्मक रिश्ता भी बनता हैं। लेकिन कई बार माँ के स्तनों में दूध की कमी हो जाती हैं जिस कारण यह बहुत ही गंभीर स्तिथि बन जाती हैं। इसी समस्या को दूर करने के लिए आज हम आपको ऐसे नेचुरल तरीके बताने जा रहे हैं, जो माँ का दूध बढ़ाने में आपकी मदद करेंगे।

कारण:

प्रसूता स्त्रियों में देखा गया है कि कुछ कमजोर कारणों से पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं उतरता है जिसके कारण शरीर का कमजोर होना, दु:ख और चिंता का सताना तथा कलह का वातावरण होना स्त्रियों के छाती में दूध के कम होने के कारण होते हैं

आइये जाने माँ के दूध(Maa ka Doodh) को बढाने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय|
उपाय :

पहला प्रयोगः खजूर, खोपरा, दूध, मक्खन, घी, शतावरी, अमृता आदि खाने से अथवा मक्खन मिश्री के साथ चने खाने से अथवा गाय के दूध में चावल पकाकर खाने से अथवा रोज 1-1 तोला सौंफ दो बार खाने से दूध(Maa ka Doodh)बढ़ता है।

दूसरा प्रयोगः अरण्डी के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी को ऊपर से स्तनों पर डालें एवं उसमें ही उबले हुए पत्तों को छाती पर बाँधने से सूखा हुआ दूध भी उतरने लगता है।

गर्म दूध में घी डालकर पीने से माँ के दूध की वृद्धि होती है।

दूध बंद करने के लिएः कुटज छाल का 2-2 ग्राम चूर्ण दिन में तीन बार खाने से दूध आना बंद हो जाता है

औषधियों से उपचार:

1. विदारीकन्द : विदारीकन्द 100 ग्राम, मुलेठी 100 ग्राम तथा शतावर 100 ग्राम लेकर इसे कूट-पीस और छानकर चूर्ण बना लें। इसका 10 ग्राम चूर्ण और 10 ग्राम पिसी हुई मिश्री एक गिलास दूध में डालकर आधे घंटे तक उबाले इसे थोड़ा ठण्डा करके सोने से पहले घूंट-घूंट कर पीयें। इसे 40 दिन तक अवश्य पीना चाहिए। इस प्रयोग से स्तनों में दूध की बहुत अधिक वृद्धि होती है।

2. जीरा:

सफेद जीरा, सौंफ तथा मिश्री तीनों का अलग-अलग चूर्ण बनाकर समान मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ दिन में तीन बार देने से प्रसूता स्त्री के दूध में अधिक वृद्धि होती है।

लगभग 125 ग्राम जीरा सेंककर 125 ग्राम पिसी हुई मिश्री मिला लें। इसको 1 चम्मच भर रोज सुबह और शाम को सेवन करें। जिन माताओं को शिशुओं के लिए दूध की कमी हो, उनका दूध बढा़ने के यह बहुत ही लाभकारी है।

जीरे का लेप लगाने से माँ का दूध की वृद्धि होती है।

3. पपीता: यदि महिलाओं के शरीर में खून की कमी के कारण स्तनों में दूध की कमी हो जाए तो डाल का पका हुआ एक पपीता प्रतिदिन खाली पेट खाने लगातार बीस दिनों तक खिलाना चाहिए। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

4. अंगूर: अंगूर दुग्धवर्द्धक होता है। प्रसवकाल में यदि उचित मात्रा से अधिक रक्तस्राव हो तो अंगूर के रस का सेवन बहुत अधिक प्रभावशाली होता है। खून की कमी की शिकायत में अंगूर के ताजे रस का सेवन बहुत उपयोगी होता है क्योंकि यह शरीर के रक्त में रक्तकणों की वृद्धि करता है।

5. मुनक्का: 10-12 मुनक्के लेकर दूध में उबालकर प्रसूता स्त्री को प्रसव के बाद दिन में दो बार सेवन कराने से पर्याप्त लाभ मिलता है।

6. गाजर: गाजर का रस और भोजन के साथ कच्चे प्याज का सेवन भी मां का दूध बढ़ाने में सहायक होता है।

7. एरण्ड: मां के स्तनों पर एरण्ड के तेल की मालिश दिन में दो-तीन बार करने से स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध की वृद्धि होती है।

8. प्याज: भोजन के साथ कच्चे प्याज का सेवन अधिक मात्रा में करने से माताओं के स्तनों में दूध में वृद्धि होती है। जब भी माताएं भोजन करें तो कच्चे प्याज का सेवन भोजन के साथ अवश्य करें।

9. मटर: मटर की फली खाने से स्त्रियों के दूध में वृद्धि होती है। मटर की कच्ची फलियां खाएं तथा मटर की सब्जी बनाकर खानी चाहिए।

10. उड़द: उड़द की दाल में घी मिलाकर खाने से स्त्रियों के स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध की वृद्धि होती है।

11. चना: लगभग 50-60 ग्राम काबुली चने रात को दूध में भिगो दें। सुबह के समय दूध को छानकर अलग कर लें। इसके बाद इन चनों को खूब चबा-चबाकर खायें। ऊपर से इसी दूध को गर्म करके पीने से स्त्रियों के दूध में पर्याप्त मात्रा में वृद्धि होती है।

12. मेहन्दी: स्तनों में दूध की कमी को दूर करने के लिए महुए के फूल का रस 4 चम्मच सुबह-शाम कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से लाभ मिलेगा।

13. मुलहठी: प्रसूता (शिशु को जन्म देने वाली महिला) के स्तनों में दूध नहीं आ पाता हो, तो मुलहठी बहुत ही गुणकारी है। गर्म दूध के साथ जीरा और मुलहठी का पाउडर बराबर मात्रा 1-1 चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दूध से फंकी लेने से लाभ होता है।

14. केसर: पानी में केसर को घिसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

15. सेहुण्ड:

दूध के साथ शतावरी दस ग्राम चूर्ण की फंकी देने से स्त्री का दूध बढ़ता है।

शतावरी को गाय के दूध में पीसकर सेवन करने से स्त्री का दूध मीठा और पौष्टिक भी हो जाता है।

16. शतावर: शतावर की जड़ का चूर्ण समभाग (बराबर) मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ पिलाते रहने से न केवल मां के दूध में बढ़ोतरी होगी, बल्कि मासिकस्राव के पश्चात आई कमजोरी भी दूर होगी।

17. शहतूत: शहतूत प्रतिदिन खाने से दूध पिलाने वाली माताओं का दूध बढ़ता है। प्रोटीन और ग्लूकोज शहतूत में अच्छी मात्रा में मिलते हैं।

18. सोयाबीन: दूध पिलाने वाली स्त्री यदि सोया दूध (सोयाबीन का दूध) पीये तो शिशु को पिलाने के लिए दूध बढ़ जाती है।

19. अरबी:

अरबी की सब्जी खाने से दुग्धपान कराने वाली स्त्रियों का दूध बढ़ता है।

जच्चा महिलाएं अरबी की सब्जी खायें तो बच्चे को पिलाने के लिए दूध बढ़ जायेगा।

20 अरनी: छोटी अरनी का शाक बनाकर प्रसूता महिलाओं को खिलाने से उनके स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।

सावधानी: दूध पिलाने वाली स्त्री को भूखा रहना, व्रत रहना उचित नहीं होता है। आहार में गेहूं, जौ, चावल, दूध, दलिया, तिल, लहसुन, मौसमी फल आदि का सेवन करने से स्तनों में दूध पर्याप्त मात्रा में होता है।

होमेओपेथी द्वारा

● स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए - (कल्केरिया कार्ब 30 या 200 या लैक्चुआ विरोसा Q)

● स्तनों में दूध कम करने के लिए - (लैक वैफ डेफ 6 या 30)

● स्तनों का दूध बिलकुल बंद करने के लिए - (चियोनैनथस Q)

● स्तनों में दूध बिलकुल न हो तो दूध बढ़ाने के लिए - ( सैबाल सेरुलता Q)

● शिशु को दूध पिलाने वाली माताओं में दूध बढ़ाने के लिए - (रिसिनस कौम 6 या 30)

● स्तनों से जब दूध के साथ रक्त भी आये - (ब्यूफो 30)

● प्रसव के बाद स्तनों में दूध न आने पर - (सिकेल कोर 30 या 200)

● इस दवा को देने से दूध की मात्रा भी बढ़ती है और दूध सुपाच्य हो जाता है। (अलफाल्फा Q)

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सर्द मौसम के 10 रोग और 10 उपचार


ठंड के मौसम में अक्सर जो रोग होते हैं, उनसे हम छुटकारा पा सकते हैं। बशर्ते यह उपाय आजमाएं।

पाचन दोष के रोगियों को ठंड से कब्ज बढ़ जाने का खतरा रहता है। उन्हें ठंड में पानी खूब पीना चाहिए।

सर्दी में सिर दर्द की शिकायत रहती है, दूध में जायफल घिसकर माथे पर लेप करें, आराम मिलेगा।

सर्दी में अक्सर होंठ फटते हैं। कोकम का तेल लगाने से आराम मिलेगा।

बिवाइयां फट जाने पर प्याज का पेस्ट लगाने से आराम मिलेगा।

सर्दियों में प्रायः छाती में बलगम जमा हो जाता है, अंजीर का सेवन करने से बलगम निकलेगा तथा खांसी में राहत मिलेगी।

भोजन के पश्चात जीरा पावडर खाएं पाचन क्रिया ठीक रहेगी।

आजवाइन के चूर्ण का आधा चम्मच दिन में तीन बार खाने से ठंड से आया बुखार उतर जाता है।

सर्दियों में खांसी, बुखार, जुकाम में पुदीने के पत्तों की चाय, शकर या नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।

कफ जमा हो जाने से व दमा बढ़ने पर आजवायन छोटी पीपर, पोस्त दाना का काढ़ा बनाकर पीने से शीघ्र आराम मिलता है।

ठंड के मौसम में अक्सर जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है, धतुरे के पत्तों पर तेल लगाकर गर्म करके दर्द वाले स्थान पर बाँध देने से आराम मिलता है।

सर्दियों में सरसों के तेल में 3-4 लहसुन की कली डालकर पका लें और ठंडा होने पर इसमें मालिश करें तो बदन दर्द में आराम मिलता है।

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मशरूम के फायदे - benefits of mushrooms


1. प्रतिरक्षा प्रणाली बढा़ए
मशरूम में मौजूद एंटी ऑक्‍सीडेंट हमें भंयकर फ्री रेडिकल्‍स से बचाता है। इसको खाने से शरीर में एंटीवाइरल और अन्‍य प्रोटीन की मात्रा बढती है, जो कि कोशिकाओं को रिपेयर करता है। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जो कि माइक्रोबियल और अन्‍य फंगल संक्रमण को ठीक करता है।

2. कैंसर में असरदार
मशरुम का सेवन करने से जैसी भयानक बीमारी से निजात पाई जा सकती हैं ।

3. अनेक बीमारियों में सहायक
मशरुम हमारे शरीर को कई रोगों से राहत दिलवाने में मददगार साबित हुआ हैं जैसे: हृदय, लिवर संबंधित बीमारियों से बचाने में मदद करता हैं ।

4. ब्लड प्रैशर होगा कंट्रोल
ब्लड प्रैशर जैसी बीमारी को भी कट्रोल करने में मदद करता हैं जो लोग की बीमारी से परेशान हैं उन्हें मशरुम का सेवन अवश्य करना चाहिए ।

5. मधुमेह
मशरूम वह सब कुछ देगा जो मधुमेह रोगी को चाहिये। इसमें विटामिन, मिनरल और फाइबर होता है। साथ ही इमसें फैट, कार्बोहाइड्रेट और शुगर भी नहीं होती, जो कि मधुमेह रोगी के लिये जानलेवा है। यह शरीर में इनसुलिन को बनाती है।

6. मोटापा कम करे
इसमें लीन प्रोटीन होता है जो कि वजन घटाने में बडा़ कारगर होता है। मोटापा कम करने वालों को प्रोटीन डाइट पर रहने को बोला जाता है, जिसमें मशरूम खाना अच्‍छा माना जाता है।

7. मैटाबॉलिज्‍म करे मजबूत
मशरूम में विटामिन ‘बी’ होता है जो कि भोजन को ग्‍लूकोज़ में बदल कर ऊर्जा पैदा करता है। विटामिन बी-2 और बी-3 भी मैटाबॉलिज्‍म को दुरुस्त रखते हैं। इसलिए मशरूम खाने से मैटाबॉलिज्‍म बेहतर बना रहता है।

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दाद खाज और खुजली का घरेलू उपाय


दाद खाज और खुजली आज के समय में बहुत आम बात होती जा रही है। ये समस्या कई बार पसीने की वजह से हो जाती है तो कई बार गीले कपड़े की वजह से हो जाती है। आज कल प्रदूषण की वजह से भी ये समस्या बहुत ज्यादा फैल रही है। बहुत जगह पर पानी शुद्ध ना होने की वजह से भी ये समस्या पैदा हो जाती है। सूरज से निकलने वाली पराबैगनी किरणों के कारण भी कई बार इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कारण चाहे जो भी आज हम आप को एक ऐसा उपाय बताने जा रहे है जिससे इस समस्या का सामना किया जा सकता है।


अक्सर दाद खाज और खुजली होने पर हम बाजार से दवा लाकर लगाते है। जब तक दवा का असर रहता है तब तक आराम रहता। गेंदे के फूल से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। गेंदे का फूल आप की इस समस्या को हमेशा के लिए खत्म कर सकता है। गेंदा के फूल में एंटी एलर्जी और एंटी फंगल तत्व पाया जाता है। इसका असर इतना जबरदस्त होता है की कुछ ही दिनों में ये दाद खाज और खुजली को हमेशा के लिए ठीक कर सकता है।

गेंदे के फूल का चमत्कारी प्रभाव देखने के लिए आप को उसका रस निकाल कर प्रभावित स्थान पर लगाना होगा। इसे लगाने से अक्सर जलन नही होती है लेकिन अगर आप की बिमारी बहुत ज्यादा बढ़ गई हो तो थोड़ा बहुत जलन भी हो सकता है। इसके रस को कुछ दिनों तक लगाने से आप को दाद खाज और खुजली से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जायेगा। यदि आप किसी अन्य समस्या से परेशान है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखे, आप की पूरी सहायता की जायेगी।
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