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भारत की आवाज

हमारा ब्लॉग आयुर्वेद से संबंधित है और हम हर प्रकार की बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक सलाह देते हैं| यदि आपको बीमारियों से संबंधित आयुर्वेदिक उपचार की आवश्यकता है तो आप हमारा ब्लॉक फॉलो कर सकते हैं|

योग करने का सही समय कब होता है?

1. सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है 2. खाना खाने के कुछ घंटे बाद ही योग अभ्यास करें 3. योग शुरू करने के पहले खुद को तनावमुक्त और मन को शांत कर लें 4. चुने हुए समय पर ही नियम से योग करें 5. शरीर में आए बदलाव को अनुभव करने के लिए नियमित रूप से योग करें 6. योग का अभ्यास ज़्यादा न करें

सभी प्रकार के यौन रोग का रामबाण इलाज


आजकल करीबन 70% लोग यौनरोग से पिडीत है | जिसमे कइ प्रकार की अलग अलग बिमारी देखने को मिलती है | मरीज हजारो रुपये बर्बाद करके भी इन रोगो से मुक्त नही हो सकतां जबकी हमारी यह रामबाण आैषधि आपको कुछ ही महिनो मे  यौनरोग से मुक्ति दिला देगी |*

*कीस रोग मे कारगर है यह हमारी संजीवनी यौनामृत जडीबुट्टी*
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यह आैषधि शरीरकी सातो धातुआे को पोषण देकर उनमे वृद्धी करती है |

*यह आैषधि के ३ महिने सेवन से विर्य शहद जैसा गाढ़ा हो जातां है |*

वीर्य के सभी प्रकार के दोष दूर होते है |

*जीनको नंपुसक्ता आइ है उनको ३-४ महिनो मे समस्या समाप्त होती है |*

सेक्स के दोरान जिनका विर्य जल्दी निकल जातां है उनका सेक्स टाइमिंग ज्यादा होगा |

*जिन लोगो को नसो की कमजोरी के कारन सेक्स करने मे मुसीबत का सामना करना पडता है वह दूर होतां है |*

जो लोग पुरे उत्तेजित नही हो पाते तो वह लोग इनके रेग्युलर सेवन से स्वस्थ हौ जायेगें |

*जिन लोगो मे शुक्राणु की कमी है आैर संतान प्राप्ति नही हे रही तो इनके सेवन से विर्यमे वृद्धी होकर संतान की प्राप्ति होगी |*

जिन लोगो को "स्वप्नदोष" की समस्या है वह समस्या इनके सेवन से दूर होती है |

*जो लोग दिनभर थकान महसुस करते है अगर वह लोग इनका सेवन करते है तो पूरे दिन काम करने पर भी थकान महसुस नही होगी |*

*आइये जानते है कैसे बनती है सभी योन रोग दूर करने वाली संजीवनी यौनामृत जडीबुट्टी*
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*अश्वगंधा             50 ग्राम*
*विदारीकंद          30 ग्राम*
*सफेदमूसली        20 ग्राम*
*इलायची             30 ग्राम*
*कौचबीज            30 ग्राम*
*शतावर जड़        30 ग्राम*
*शु.शिलाजीत      20 ग्राम*
*बंगभस्म             10 ग्राम*
*पीप्पली              20 ग्राम*
*जाविंञी             10 ग्राम*
*प्रवालपिष्टी         10 ग्राम*
*कालीमिर्च          10 ग्राम*   
*गोखरु                30 ग्राम*
*सौंठ                   20 ग्राम*
*लोंग                   10 ग्राम*


उपर दी गइ सभी चिजे पंसारी से लाकर साफ करके कुटकर चूरन बनाकर मिक्स करदे | आैर सुबह शाम १-१ चम्मच खाने के १ धंटे बाद दूध के साथ सेवन करे | अगर पित्त की तासीर हे तो १ चम्मच मिश्री पाउडर मिलाए |

प्रोस्टेट --पुरुष ग्रन्थि बढ़ना


लगभग तीस फीसदी पुरुष 40 की उम्र में और पचास फीसदी से भी ज्यादा पुरुष 60 की उम्र में प्रोस्टेट की समस्या से परेशान होते हैं। प्रोस्टेट ग्लैंड को पुरुषों का दूसरा दिल भी माना जाता है। पौरूष ग्रंथि शरीर में कुछ बेहद ही जरूरी क्रिया करती हैं। जैसे यूरीन के बहाव को कंट्रोल करना और प्रजनन के लिए सीमेन बनाना। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती हैं, यह ग्रंथि बढ़ने लगती हैं। इस ग्रंथि का अपने आप में बढ़ना ही हानिकारक होता हैं और इसे *बीपीएच* ( *बीनीग्न प्रोस्टेट* *हाइपरप्लेसिया* ) कहते हैं❗

✍प्रोस्टेट ग्लैंड ज्यादा बढ़ जाने पर कई लक्षण सामने आने लगते हैं जैसे यूरीन रूक-रूक कर आना, पेशाब करते समय दर्द या जलन और यूरीन ट्रेक्ट इन्फेक्शन बार-बार होना। प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाने से मरीज बार-बार पेशाब करने जाता हैं मगर वह यूरीन पास नहीं कर पाता। अगर बार-बार यह परेशानी होती है तो पौरूष ग्रंथि बढ़ने की संभावना हो सकती है। ऐसी अवस्था मरीज के लिए कष्टदायक होती है। उसे समझ नहीं आता कि क्या किया जाना चाहिए❗
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 *प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण–*


👉पेशाब करने में कठिनाई मेहसूस होना❗

👉 थोड़ी थोड़ी देर में पेशाब की हाजत होना। रात को कई बार पेशाब के लिये उठना❗

 👉पेशाब की धार चालू होने में विलंब होना❗

👉 मूत्राषय पूरी तरह खाली नहीं होता है। मूत्र की कुछ मात्रा मूत्राषय में शेष रह जाती है। इस शेष रहे मूत्र में रोगाणु पनपते हैं❗

👉 मालूम तो ये होता है कि पेशाब की जोरदार हाजत हो रही है लेकिन बाथरूम में जाने पर बूंद-बूंद या रुक-रुक कर पेशाब होता है❗

👉 पेशाब में जलन मालूम पडती है❗

👉 पेशाब कर चुकने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती रहती हैं, याने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता❗

👉 अंडकोषों में दर्द उठता रहता है❗

👉संभोग में दर्द के साथ वीर्य छूटता है❗

 *ऐसी अवस्था मरीज के लिए* *कष्टदायक होती है।* *उसे समझ नहीं आता कि* *क्या किया जाना चाहिए।*


*दूसरे रोग की तरह* *प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने पर भी* *इसका उपचार संभव है। ऐसी* *बहुत सी दवाइयां* *हैं,कांचनार* *गुगुल,वर्धिवधिका वटी* *इत्यादि औषधियां जिससे* *मरीज को काफी आराम* *महसूस होता है और वह* *सामान्य दिनचर्या जी सकता* *है❗*


पथ्य और परहेज

उचित समय पर पचने वाला हल्का भोजन करें| सब्जियों में लौकी, तरोई, टिण्डा, परवल, गाजर, टमाटर, पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई, कुलफा आदि का सेवन करें| दालों में मूंग व चने की दाल खाएं|
फलों में सेब, पपीता, केला, नारंगी, संतरा, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, चीकू आदि का प्रयोग करें❗

अरहर, मलका, मसूर, मोठ, लोबिया, काबुली चने आदि का सेवन न करें|
गुड़, लाल मिर्च, मिठाई, तेल, खटाई, अचार, मसाले, मैथुन तथा अधिक व्यायाम से परहेज करें❗

बच्चों के लिए मेडिटेशन के टिप्स



मेडिटेशन मन की शांति के लिए किया जाता है। मेडीटेशन के बहुत फायदे हैं। बच्चे और बड़ों सभी को मेडिटेशन करना चाहिए। सर्दियों में बच्‍चों की सेहत के लिए मेडिटेशन और भी जरूरी हो जाता है।

मेडिटेशन से ना सिर्फ आपका ध्यान आपके काम पर अधिक लगता है बल्कि आपकी कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है। जो बच्चे बहुत अधिक चंचल होते हैं उन्हें खासतौर पर मेडिटेशन करवाना चाहिए।

लोगों में भ्रम है कि मेडिटेशन करना बहुत मुश्किल होता है और बच्चों के लिए तो मेडिटेशन करना बहुत मुश्किल हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं आप मेडिटेशन के टिप्स को अपनाकर आराम से मेडिटेशन कर सकते हैं और अपने बच्चों को भी मेडिटेशन करवा सकते हैं।

बच्चों के लिए मेडिटेशन के टिप्स‍
बच्चों को किसी चीज के लिए मनाना और उन्हें नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी होता है। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा नियंत्रण सीखें और बच्‍चे का दिमागी विकास सही रूप में हो तो आपको इसके लिए कुछ तरकीबें अपनानी होंगी।

चौकड़ी मारकर बैठे- बच्चो को सुबह-सुबह अपने साथ पार्क में ले जाओ या फिर ऐसी जगह जहां बहुत शांति हो। वहां आप चौकड़ी मार कर बैठ जाएं और अपने बच्चे को भी ठीक वैसा ही करने को कहें।

रिलैक्स करवाएं- इसके बाद बच्चे को आंखे बंद करने का निर्देश दें, साथ ही बच्चे को बताए की वह रिलैक्स होकर कमर सीधी करके बैठे और किसी भी चीज के बारे में कुछ ना सोचें।

लंबी सांसे लेने के लिए कहें- बच्चों को मेडिटेशन के फायदे और इसे करने के तरीके के बारे में बताएं। साथ ही बच्चों को धीरे-धीरे लंबी सांसे लेने के लिए कहें।

सॉन्ग चलाएं- आप चाहे तो शुरूआत में रिलैक्सेंशन सॉन्ग भी लगा सकते हैं ताकि बच्चों का इधर उधर ध्या‍न ना भटकें। बच्चों को इसी सॉन्ग पर रिलैक्स होने के लिए कहें।

फोकस करना सीखाएं- बच्चों को समझाएं कि उनके दिमाग में लगातार जो विचार आ-जा रहे हैं उन्हें भूलने की कोशिश करें और अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें ताकि वे मेडीटेशन का फायदा उठा सकें।

कल्पनाएं करने के लिए कहें- हालांकि बच्चे बहुत देर तक एक ही स्थिति में नहीं बैठ पाते लेकिन आप बच्चों को क्लाउड की दुनिया में जाने के लिए कहें और उन्हें कल्पनाएं करने के लिए कहें। जिससे बच्चा मेडिटेशन आराम से कर सकें और उसको मजा भी आए। शुरूआत में ये स्थिति थोड़ी सी मुश्किल होती है लेकिन धीरे-धीरे बच्चों को इसमें मजा आने लगेगा।

उच्चारण करवाएं- यदि आप चाहते हैं कि बच्चों को मेडिटेशन का भरपूर फायदा मिले तो आप बच्चों से ओउम का उच्चारण करवा सकते हैं, इससे बच्चों का ध्यान इधर- उधर नहीं भटकेगा।

मेडिटेशन प्रतिदिन करें- मेडिटेशन का फायदा तभी है जब आप बच्चों को प्रतिदिन मेडिटेशन करने के लिए प्रेरित करें। यदि बच्चे कभी-कभी ही इसे शौक के लिए करेंगे तो इसका उन्हें लाभ नहीं होगा।

क्यां होतां है साइटिका रोग कैसे कर सकते है हम इस रोग को जड़ से समाप्त


कमर से शुरु होकर पिछे की तरफ से पुरे पैर मे लंभी नस होती है जिसको साइटिक वेइन कहते है | जो की बेक साइड मे होती है उसमे कीसी भी प्रकार के खिंचाव वातवृद्धी या डेमेज के कारन पूरी नस मे दर्द होतां है जिसे हम आैर आप साइटीका (ग्रधसी) रोग से भी जानते है | यह रोग के बारे मे अगर देखा जाये तो यह रोग ज्यादातर महिलामे देखा जातां है तरहा तरहां के इलाज वं ऐलोपैथी आधुनिक दवाइयां सालो खाने के बावजूद भी यह रोग ठिक नही हो पातां है | जबकी आयुर्वेद थेरापी वं नेचरोपैथी मे इसका सटिक इलाज बतायां गयां है |*

*आयुर्वेदानुसार साइटिका रोग वातव्याधि है जो वात दूषित होने के कारन होने वाला रोग है आैर रोग की शरुआत यहां से होती है जबकी हमारे शरीरका अग्नी मंद हो मतलब की मंदाग्नी के कारन हमारा पाचन बिगड जातां है जिसके कारन हमे भयंकर कब्ज रहती है आैर आंतो मे पुरानां मल सडतां है आैर इससे वात उतपन्न होतां है | यह वात दूषित होकर साइटिक नामक नाडी मे प्रवेश करतां है आैर असह्य दर्द देतां है | जबकी आयुर्वेदिक शास्ञ वं ग्रंथो मे कुछ ही महिनो मे इस रोग से जड़ से निजात पा सकते है | आइये जानते है साइटिका को जड़ से समापेत करने वाली आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे मे |*

 *संजीवनी साइटिका स्पेशियल आैषधिय योग*
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*सिंहनाद गुगुल        40 ग्राम*
*ञिफला गुगुल        40 ग्राम*
*पुनर्नवां मंडुर.         20 ग्राम*
*महायोगराज गुगुल  20 ग्राम*
*निर्गुडी                   50 ग्राम*
*सौंठ.                      20 ग्राम*
*शुद्ध भल्लांतक      05 ग्राम*
*सहिंजन के पत्ते      30 ग्राम*
*सूतशेखर रस.       40 ग्राम*
*गोखरु कांटा         30 ग्राम*

सभी द्वव्यो को कुटकर मिला दिजिए | आैर सुबह शाम 4-4 ग्राम की माञामे सेवन करीए | जो लोगो पाउडर नही खानां चाहते उनके लिए अलग पैकेज भी उपलब्ध है ||

मानसून में इनके सेवन से करें परहेज



इसमें कोई शक नहीं है कि चिलचिलाती गर्मी में बारिश की बूंदें काफी राहत देती हैं !
लेकिन बारिश के मौसम में अगर खाने को लेकर परहेज नहीं किया जाए - तो इससे सेहत से जुड़ी बहुत सारी समस्याएं भी पैदा हो सकती है !
इस मौसम कुछ गलत खाना खाने से पेट खराब हो जाता है - जिस वजह से काफी परेशानी होती है !

 मानसून में कौन सी चीजों का सेवन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है ...?

* बारिश के मौसम में हमारी पाचन क्रिया काफी कमजोर हो जाती है - इसलिए ज्यादा भारी भोजन पचने में मुश्किल होती है !
ऐसे में इस मौसम में आलू - अरबी - भिंडी - फूलगोभी और मटर जैसी सब्जियों के सेवन से बचना चाहिए !

* लोग अक्सर अपने घर में पत्तागोभी और पालक की सब्जी बनाते हैं !

पर क्या आपको पता है कि बरसात के मौसम में इन सब्जियों में छोटे-छोटे कीड़े होते हैं !
जिससे इनका सेवन करने से पेट खराब हो सकता है !
इसलिए इस मौसम में इन सब्जियों से परहेज करें !

* बरसात के मौसम में मशरूम के सेवन से भी परहेज करना चाहिए !
क्योंकि इसे खाने से इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है !

* खीरा हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है !
खासकर गर्मियों के मौसम में लोग खीरे को सलाद के रूप में खाते है !
लेकिन इस मौसम में किसी भी सब्जी को कच्चा खाना सेहत के लिए नुकसान दायक साबित हो सकता है !
क्योंकि इनमें भी कीड़े होने का खतरा रहता है !

* इस मौसम में अक्सर लोगों को चटपटा और तीखा खाने का शौक बढ़ जाता है !
और भूख मिटाने के चक्कर में सड़कों पर बिक रही फ्रूट चाट या फिर बाहर का खाना खाने पर जोर देते हैं !
ऐसा करना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है !
बारिश के मौसम में कभी भी खुले में रखे फल या किसी अन्य खाने की चीजें आपके सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है !

पाचन तंत्र को जल्दी ठीक करने के उपाय


1. अधिक मात्रा में पानी पीये
 हमारे लिए पानी बहुमूल्य है. अधिकतर लोग बहुत कम पानी पीते है. हमें एक दिन में लगभग 2 लीटर पानी पीना चाहिए. अगर आपका पाचन तन्त्र ठीक नहीं है तो आप इसे अधिक पानी भी पी सकते है. यह हमारे शरीर में पानी की मात्रा को पूरा करता है जिससे भोजन को पचने में आसानी होती है. इसलिए पानी पीये और भरपूर पीये.

*2. अपनी दिनचर्या सही रखे –*
मनुष्य के लिए एक अच्छी दिनचर्या का होना बहुत आवश्यक है. अगर आपकी दिनचर्या संतुलित नहीं है तो आपको दिनभर कई छोटी – छोटी समस्याओ का सामना करना पड़ेगा. पाचनतंत्र को आप बेहतर दिनचर्या से दूर कर सकते हो. सुबह से लेकर रात सोने तक अपनी दिनचर्या सही रखे. सही समय पर अपना भोजन ले.
अगर आपका daily routine ठीक होगा तो आपका शरीर भी उसी अनुसार चलता रहेगा. जिससे पाचन तन्त्र भी दुरुस्त हो जाएगी.

*3. रात को जल्दी सो जाए-*
कई लोग काम के चलते और कई अपनी बुरी दिनचर्या (Dincharya) के कारण देर रात जगे रहते है. वे जल्दी सोते नहीं और सुबह लेट में उठते है. देर रात तक जगे रहने से पाचन तन्त्र पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इसलिए रात को भोजन करने के बाद सो जाए. अगर देर रात तक जगे रहोगे तो आपका पाचन तंत्र का ख़राब होना तय है. इससे बचने का उपाय है की रात को देर से सोने की आदत को बदला जाए.

*4.अच्छी नींद ले*
– नींद का हमारे शरीर से गहरा नाता है. जिस तरह हमारे लिए भोजन करना जरुरी है ठीक उसी तरह हमारे लिए नींद भी जरुरी है. बिना अच्छी नींद के अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना करना भी मुश्किल है. कई लोग खुद को ओवर स्मार्ट समझते है और सोचते है की कम नींद लेने पर भी वे खुद को फिट रख सकते है. आप कुछ दिन तक तो ऐसा कर सकते हो पर long time में आपकी helth ख़राब हो ही जाएगी. एक दिन में इसलिए 8 से 9 घंटे की अच्छी नींद जरुर ले.

*5. तनाव को करे दूर –*
तनाव आज लोगो का बहुत बड़ा दुश्मन बन गया है. तनाव आदमी को अन्दर ही अन्दर दीमक की तरह खोखला कर देता है. जिससे व्यक्ति कई रोगों से घिर जाता है. अधिक तनाव लेने से पाचन तन्त्र ख़राब हो जाता है. इसलिए तनाव को अपनी लाइफ से दूर करे.

*6. फास्ट फ़ूड को कहे अलविदा*–
स्वाद हर कोई लेना चाहता है. इस स्वाद के चक्कर में हम लोग फास्ट फ़ूड खाने लगते है. किसी को यह कम पसंद होता है तो किसी को ज्यादा. जिसको यह ज्यादा पसंद होता है वह ख़राब पाचन तन्त्र का शिकार बन जाता है. महीने में कभी – कभी तो फ़ास्ट फ़ूड (fast food) चल सकता है.

लेकिन अगर आप रोजाना फ़ास्ट फ़ूड लेते हो तो इसका नेगेटिव इफ़ेक्ट आपको दिखने लग जायेगा. इसका सेवन बहुत कम मात्रा में ले और इसकी जगह helthi food ले.

*7. शारारिक कार्य जरुर करे –* अधिकतर पाचन तन्त्र ख़राब उन्ही लोगो का होता है जो शारारिक काम नहीं करते है. ऐसे बहुत से लोग होते है जिनका काम शारारिक नहीं होता. ऐसे लोग अपनी दिनचर्या में कुछ शारारिक काम कर सकते है. अगर काम नहीं है तो वे सुबह उठकर टहल सकते है. पैदल घूम सकते है या दौड़ लगा सकते है. इसके अलावा कोई
स्पोर्ट्स या साइकिलिंग कर सकते है.

*8. सही समय पर रोजाना भोजन करे –*
सही समय पर भोजन करना अच्छी सेहत की निशानी होती है. ब्रेकफास्ट से लेकर डिनर तक आपका खाना खाने का time निश्चित होना चाहिए. हमारा शरीर हमारे डेली रूटीन के हिसाब से खुद को ढाल लेता है. अगर हम कभी 1 घंटे पहले कभी एक घंटे बाद खाना खाये तो हमारा भोजन रोज अनियमित हो जाएगा.
जो हमारे पाचन तन्त्र को गड़बड़ा देता है. माना आप सुबह 8 बजे अपना Breakfast लेते हो तो रोज उसी time पर ले. ऐसा हो Lunch और dinner पर भी करे.

9. खाने – पीने में कमी न करे – यह बहुत लोगो की problem होती है की जब उनको तेज भूख लगती है तब वे कुछ नहीं खाते और जब भूख न हो तब पेट में कुछ न कुछ ठुसते रहते है. जो गलत है, अगर आप खाने – पीने में कमी करोगे तो आपकी सेहत बनना मुश्किल है. जब भी आपको भूख लगती है तब खुद को न रोके. उस समय कुछ खा लें. भूख के समय शरीर को भोजन दो तो पाचन तन्त्र भी अच्छा बना रहेगा.

*10. शराब और सिगरेट से दूर रहे-*
शराब और सिगरेट हमारे Helth के लिए ठीक नहीं होते यह शायद आपको बताने की जरुरत नहीं है. यह आप जानते हो फिर भी जानने के बावजूद लोग इसका सेवन करते रहते है. इनका लगातार सेवन करते रहने से हमारा पाचन तन्त्र ख़राब हो जाता है और कई बीमारियाँ भी घेर देती है. इसके अलावा चाय और कॉफ़ी से भी दूरी बनाये रखे.

*11. अधिक खाना खाने से बचे –*
आवश्यकता से अधिक भोजन लेना हमारे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता. अधिक खाने से हमें अपच हो सकती है. जितनी भूख हो हमें उतना ही खाना चहिये. कई बार लोग स्वाद के चक्कर में अधिक खाना खा लेते है और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है. आप ऐसा न करे. खाने से ज्यादा प्राथमिकता अपने शरीर को दे. अधिक खाना लेने से हमारे पाचन तन्त्र पर अधिक दबाव पड़ता है जो की उचित नहीं है. ऐसा करने से इसलिए बचे.

*12. हमेशा बैठे – बैठे काम न करे-*
अगर आपका काम ऑफिस का है, आपको कंप्यूटर के आगे या कुर्सी पर बैठकर काम करना पड़ता है तो आप बीच – बीच में ब्रेक लेते रहे. अगर आपको लगातार काम करना होता है तो हर दो घंटे में कुछ मिनट निकाल कर थोड़ा टहल ले. बैठे रहने से हमारा भोजन पच नहीं पाता फलस्वरूप हमारे पाचन तन्त्र के लिए इसे
हैंडल कर पाना मुश्किल हो जाता है.

*13. ऑयली खाने से परहेज करे*–  – ज्यो हमारी उम्र बढती जाती है.. हमारे लिए ऑयली खाने को पचा पाना मुश्किल होने लग जाता है. अगर हम Oily  खाना ज्यादा खा लेते है तो इससे हमें उल्टी, अपच और खट्टी डकारे हो सकती है. इनसे बचने के लिए जरुरी है कि इन चीजो को बहुत ही कम मात्रा में खायें. ऑयली खाना पचा पाना थोड़ा मुश्किल रहता है. इसलिए अपने पाचन तंत्र की मदद करे और तैलीय खाना कम ही खाएं.

*14. वसायुक्त भोजन लेने से बचे*– उन चीजो को लेने से बचे जिनमे बहुत ज्यादा Fat होता है. वसा युक्त पदार्थ हमारे पाचन क्रिया को Slow कर देता है. अगर पाचन तंत्र स्लो रहेगा तो भोजन पचने में भी समय लगेगा. जितना हो सके बेहतर पाचन तन्त्र के लिए वसायुक्त भोजन कम ही ले.

*15. रोजाना व्यायाम करे* – व्यायाम करना हमारी body के लिए बहुत लाभदायक होता है. रोजाना Exercise को अपनी दिनचर्या में शामिल करे. डेली एक्सरसाइज करने से हमें खाना बेहतर रूप से पचता है. इसके अलावा यह हमारे वजन का सही स्तर बनाये रखता है जो हमारे digestive health के लिए अच्छा है. इसलिए रोजाना एक्सरसाइज करे और एक अच्छी सेहत बनाये.

*पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए इन चीजो का सेवन*

*इलायची का सेवन*- इलायची का सेवन एक गर्भवती महिला के लिए बहुत लाभकारी होता है. यह गर्भवती स्त्री के पाचन सम्बन्धी परेशानियों को दूर करता है. आप इलायची को चाय के साथ के सकते है

*निम्बू ले*– नींबू हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है. इसका सेवन करते रहने से यह हमारे पेट की कई समस्याएँ दूर कर देता है. नींबू हमारी बदहजमी और पेट की गैस को दूर करता है. यह हमारे पाचन शक्ति के लिए भी लाभकारी होता है.

*सलाद का सेवन करे*- खाने में अगर सलाद हो तो खाने का मजा दोगुना बढ़ जाता है. सलाद अच्छे खाने के साथ – साथ हमारे हेल्थ के लिए भी अच्छा है. खाने को अगर अच्छी तरह पचाना है तो खाने के साथ सलाद भी ले. जिसमे आप नींबू, टमाटर और प्याज ले सकते है.

*अमरुद खाएं* – अमरुद एक बहुत ही उपयोगी फल है जो पौष्टिक होता है. अमरुद में विटामिन सी, फास्फोरस और पौटेशियम पाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है. अमरुद के सेवन करते रहने से मस्तिष्क, ह्रदय और पाचन शक्ति मजबूत बनती है.

*सौंफ का प्रयोग करे* – एसिडिटी को दूर करने के लिए, सीने की जलन कम करने के लिए और खाना अच्छी तरह पचाने के लिए आप सौफ ले सकते है. रोजाना एक एक चम्मच सौंफ लेने से पाचन क्रिया सही बनी रहती है.

*एलोवेरा ले*- पाचन क्रिया को मजबूत बनाने के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल करे. एलोवेरा हमारी पाचन सम्बन्धी रोगों को दूर करता है जिसमे सुजन और पेट का अल्सर शामिल है.पानी के साथ आप एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर सकते हो.

*हल्दी का प्रयोग करे –* हल्दी हमारे शरीर के अपच, अल्सर,पित्त निकालने और पाचन से सम्बन्धित अन्य समस्याओ को दूर करता है. पाचन सम्बन्धी समस्याएँ दूर करने के लिए एक ग्लास पानी के साथ हल्दी लेते रहे.

*आंवले लेते रहे–*
आंवला हमारे शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर करता है. आवले का लगातार सेवन करते रहने से यह हमारे पाचन तन्त्र को ख़राब होने से बचाता है. आंवले को पिस करके उसमे काली मिर्च, हींग और जीरा मिला कर भी आप ले सकते है.

*पपीता का सेवन-*
कच्चा पपीता सेहत के लिए बहुत अच्छा है. आंत की कमजोरी के कारण शरीर में विटामिन्स का संचय नहीं होता है तो हम पपीते के सेवन से विटामिन सी प्राप्त कर सकते हैं. इसमें पपाइन होता है जो कि प्रोटीन को विभाजित करता है और खाने को पाचन योग्य बनाता है और पाचन क्रिया को प्रबल बनाता हैं.

*केला खाएं –* केला हर मौसम और हर सीजन में मिल जाता है. यह हमारे पेट के लिए बहुत better है. सस्ता होने के साथ – साथ यह हमारे पाचन शक्ति को भी बढाता है. इसलिए केला खाएं और अपनी सेहत बनाये.

इसके अलावा भी आप अपने भोजन में मूंग, अंकुरित चना, गेहूं और जौ की रोटियां शामिल करे और इन फलों को आम, अनार, अंजीर, अमरूद और संतरे को लेते रहे. ये फल आपके पेट को साफ़ रखेंगे जिससे आपका पाचन तन्त्र मजबूत बनेगा.


*पाचन शक्ति को दुरुस्त करने के अन्य घरेलू नुस्खे* –

* अपने भोजन को हमेशा चबा – चबा कर खाएं जिससे भोजन अच्छी तरह पचे.

* दही का सेवन हमारे पाचन के लिए अच्छा होता है. खाने में दही शामिल करे.

* मीठे अनार का रस मुँह में लेने से आंत दोष ठीक होता है और पाचन शक्ति बढती है.

* अजवाइन को पानी में उबाल कर पीने से भी पाचन तंत्र सही रहता है.

* रोजाना 3 ग्राम काली राई लेने से कब्ज वाली बदहजमी दूर हो जाती है.

* अनानास का रस हमारे पाचन के लिए लाभदायी होता है.

* अमरूद के पत्तों में शक्कर मिलाकर सेवन करने से बदहजमी दूर हो जाती है.

* हरड़ का मुरब्बा भी हमारे पाचन के लिए अच्छा होता है.

* नींबू पर काला नमक लगाकर चाटते रहे इससे बदहजमी दूर हो जाएगी.

* हींग का उपयोग करे.. इसका प्रयोग बदहजमी और गैस को दूर करने के लिए किया जाता है.

लूस मोशन (दस्त) को रोकने के घरेलू उपाय


1. सेब का सिरका लूज मोशन को रोकने के लिए एक अच्छा घरेलू उपाय है। यह पेक्टिन का एक अच्छा स्रोत है और उत्तेजित पेट को शांत करने में मदद करता है। यह बैक्टीरिया से लड़ता है जो लूज मोशन का कारण बनते हैं। एक गिलास पानी में सेब साइडर सिरका के एक चम्मच को मिलाएं और हर भोजन के बाद इसे पीएं। 

2. पेट दर्द में दही का इस्तेमाल काफी लाभकारी रहता है। दही में मौजूद बैक्टीरिया संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दही प्रोबायोटिक्स का एक अच्छा स्रोत है। यह एक तरह का अच्छा बैक्टीरिया है, जो सामान्य रूप से आपके पाचन तंत्र में पाए जाने वाले स्वस्थ जीवाणुओं के समान होती हैं। 

3. यदि आप बार-बार हो रहे मोशन से परेशान हो चुके हैं, तो केले का इस्तेमाल आपको आराम देगा। कच्चा और पका हुआ केला दोनों आपके पेक्टिन गुण के कारण लूज मोशन का इलाज करने में सहायता कर सकते हैं। यह घुलनशील फाइबर आंतों में तरल पदार्थ को अवशोषित करने में मदद करता है और लूज मोशन की समस्या को दूर कर सकता है।

कैंसर रोगी ध्यान दे



कैंसर शब्द ऐसे रोगों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिसमें असामान्य कोशिकाएं बिना किसी नियंत्रण के विभाजित होती हैं और वे अन्य ऊतकों पर आक्रमण करने में सक्षम होती हैं। कैंसर की कोशिकाओं रक्त और लसीका प्रणाली के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं।

 *कैंसर के मुख्य श्रेणियां -*

 *कार्सिनोमा* : ऐसा कैंसर जो कि त्वचा में या उन ऊतकों में उत्पन्न होता है, जो आंतरिक अंगों के स्तर या आवरण बनाते हैं।
 *सारकोमा* : ऐसा कैंसर जो कि हड्डी, उपास्थि, वसा, मांसपेशियों, रक्त वाहिकाओं या अन्य संयोजी ऊतक या सहायक में शुरू होता है।
 *ल्युकेमिया* : कैंसर जो कि रक्त बनाने वाले अस्थि मज्जा जैसे ऊतकों में शुरू होता है और असामान्य रक्त कोशिकाओं की भारी मात्रा में उत्पादन और रक्त में प्रवेश का कारण बनता है।
 *लिंफोमा और माएलोमा* : ऐसा कैंसर जो कि प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं में शुरू होता है।
 *केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के कैंसर:* कैंसर जो कि मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के ऊतकों में शुरू होता हैं।

              *कैंसर की उत्पत्ति -*

सभी प्रकार के कैंसर कोशिकाओं में शुरू होते है, जो शरीर में जीवन की बुनियादी इकाई होती हैं। कैंसर को समझने के लिए, यह पता लगाना उपयोगी है कि सामान्य कोशिकाओं के कैंसर कोशिकाओं में परिणत होने पर क्या होता है।

शरीर कई प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ये कोशिकाओं वृद्धि करती हैं और नियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं। कोशिकाएं जब पुरानी या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो वे मर जाती हैं और उनके स्थान पर नई कोशिकाएं आ जाती हैं।

हालांकि कभी कभी यह व्यवस्थित प्रक्रिया गलत हो जाती है। जब किसी सेल की आनुवंशिक सामग्री (डीएनए) क्षतिग्रस्त हो जाती है या वे बदल जाती हैं, तो उससे उत्परिवर्तन (म्युटेशन) पैदा होता है, जो कि सामान्य कोशिकाओं के विकास और विभाजन को प्रभावित करता है। जब ऐसा होता है, तब कोशिकाएं मरती नहीं, और उसकी बजाए नई कोशिकाएं पैदा होती हैं, जिसकी शरीर को जरूरत नहीं होती। ये अतिरिक्त कोशिकाएं बड़े पैमाने पर ऊतक रूप ग्रहण कर सकती हैं, जो ट्यूमर कहलाता है। हालांकि सभी ट्यूमर कैंसर नहीं होते, ट्यूमर सौम्य या घातक हो सकता हैं।

 *सौम्य ट्यूमर:* ये कैंसर वाले ट्यूमर नहीं होते। अक्सर शरीर से हटाये जा सकते है और ज्यादातर मामलों में, वे फिर वापस नहीं आते। सौम्य ट्यूमर में कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलते।
 *घातक ट्यूमर:* ये कैंसर वाले ट्यूमर होते हैं, और इन ट्यूमर की कोशिकाएं आसपास के ऊतकों पर आक्रमण कर सकती हैं तथा शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं। कैंसर के शरीर के एक भाग से दूसरे फेलने के प्रसार को मेटास्टेसिस कहा जाता है।
 *ल्युकेमिया* : यह अस्थिमज्जा और रक्त का कैंसर है इसमें ट्यूमर नहीं।

           *कैंसर के कुछ लक्षण -*

स्तन या शरीर के किसी अन्य भाग में कड़ापन या गांठ।
एक नया तिल या मौजूदा तिल में परिवर्तन।
कोई ख़राश जो ठीक नहीं हो पाती।
स्वर बैठना या खाँसी ना हटना।
आंत्र या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन।
खाने के बाद असुविधा महसूस करना।
निगलने के समय कठिनाई होना।
वजन में बिना किसी कारण के वृद्धि या कमी।
असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज।
कमजोर लगना या बहुत थकावट महसूस करना।

सफेद दाग का 100% आयुर्वेदिक इलाज



सफेद दाग क्या है

इस रोग में त्वचा का प्राकृतिक रंग बदल जाता है और वहां सफेदी आ जाती है। सफेदी के कारण इसे शिवत्र भी कहते हैं। इस रोग को हिन्दी में ‘श्वेत कुष्ठ’ अथवा ‘सफेद कोढ़’ के नामों से भी जाना जाता है, परंतु कुछ चिकित्सक इसे ‘कोढ़” न मानकर एक अलग ही रोग मानते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से पर त्वचा का रंग में बदलाव होकर धीरे-धीरे यह रोग फैलता जाता है और एक समय ऐसा आता है, जब लगभग सारा शरीर ही सफेद हो जाता है। शरीर के विभिन्न भागों (चेहरा, होंठ, टांग, हाथ) पर पहले छोटे-छोटे सफेद दाग या सफेद चकत्ते पड़ जाते हैं, परंतु बाद में वे धीरे-धीरे फैलते जाते हैं | यह रोग संक्रामक नहीं होता और न ही इसके होने पर दर्द होता है। मेडिकल टर्म में इस समस्या को vitiligo के नाम से जाना जाता है | दरअसल त्वचा के बाहरी स्तर में मेलेनिन नामक रंजक द्रव्य रहता है, जो त्वचा को प्राकृतिक रंग देता है। विभिन्न कारणों से इसके ठीक से काम न करने से सफेद दाग उत्पन्न होते है |

ये सफेद दाग कभी-कभी तो अपने आकार में सिमटकर ही रह जाते हैं और कभी-कभी शरीर पर अत्यधिक फैल जाते हैं।
यदि त्वचा पर हल्के सफेद दाग और दाग छोटे, कम हों तो चिकित्सा के लायक समझा जाता है |

सफेद दाग कोई ऐसा रोग नहीं जो एक से दूसरे को लग जाए। पीड़ित रोगी की संतान भी सफेद दाग से ग्रस्त हो, ऐसा जरुरी नहीं होता। इस बीमारी को छिपाने की जरूरत नहीं है। सफेद दाग का सफल इलाज लगभग सभी चिकित्सा प्रणालियों में है मगर ये इस पर निर्भर करता है की बीमारी की तीव्रता क्या है कौन सी स्टेज है और रोग को कितना समय हुआ है | सबसे ज्यादा समय की भूमिका ज्यादा खास होती है जितना जल्दी आप इसका इलाज करवाएंगे इसके ठीक होने की उतनी ही ज्यादा संभावना होगी |

 सफेद दाग की विकृति कुष्ठ की तरह हानिकारक नहीं होती है। चिकित्सा करने पर सफेद दागों को आसानी से ठीक किया जा सकता है। कुछ रोगियों के सफेद दाग पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं और कुछ रोगियों के चेहरे और शरीर के विभिन्न अंगों में हल्के दाग रह जाते है

                  सफेद दाग होने के कारण

श्वेत कुष्ठ की उत्पति प्रकृति विरुद्ध खाना खाने से , खाने में अनियमितता, बासी, दूषित सड़े-गले मांस के खाने से होती है।
सफेद दाग होने के अन्य कारणों में जब कोई व्यक्ति मछली और दूध, नीबू का रस व घी, घी और दही आदि
प्रकृति विरुद्ध खाद्य-पदार्थों का निरंतर सेवन करता है तो रक्त दूषित होने से श्वेत कुष्ठ पैदा होता है।
आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार सफेद दाग होने का प्रमुख कारण त्वचा में स्थित मेलोनिक नामक रंगीन पदार्थ का निर्माण करने वाली पेशियां किसी कारण से कमजोर हो जाती हैं तो त्वचा पर सफेद दाग बनने लगते हैं।
श्वेत कुष्ठ कोई प्राणघातक रोग नहीं, लेकिन इन सफेद दागों से चेहरे की सुंदरता नष्ट हो जाने के कारण सभी इस रोग से भयभीत रहते हैं।
वैसे ज्यादातर विशेषज्ञों का मत यह है की सफेद दाग होने के प्रमुख कारणों में त्वचा में मेलानोसाइट्स सेल्स द्वारा उत्पादित मेलेनिन की कमी ही होता है
 फंगल संक्रमण से भी सफेद दाग होने का कारण होता है
खाने में तांबा तत्व की कमी होना |
त्वचा के जल जाने से अंदुरुनी परत का खराब हो जाना |
पैतृक या वंशानुगत होना, रजस्वला, विरुद्ध (बेमेल) भोजन करना, भोजन पचे बिना दूसरा भोजन करना, गरिष्ठ पदार्थों का सेवन, पुराना कब्ज, पाचन शक्ति का कमजोर होना भी सफेद दाग होने के कारणों में आता है |
अत्यधिक मानसिक चिंता, क्रोनिक या पेट में ज्यादा गैस्ट्रिक विकार होने से |
आहार नलिका में इन्फेक्शन,टाइफाइड |
लीवर और थायराइड की गड़बड़ी से भी सफेद दाग की बीमारी हो सकती है। दरअसल थायरॉयड की वजह से भी स्किन से नेचुरल तेल निकलने की कमी से त्वचा ड्राई लगने लगती है। और आगे चलकर वो सफ़ेद दाग होने का कारण बन जाती है |
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) उलटा असर, मतलब जब शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम ठीक से काम ना करें |
एन्टीबायोटिक तथा तेज औषधियों की भारी खुराक से भी सफेद दाग का रोग हो सकता है।

                    सफेद दाग के लक्षण

इस रोग के लक्षणों में शुरू में हाथों, कोहनी, चेहरे, टखने, पैर, कमर आदि स्थानों पर सफेद दाग उभर कर धीरे-धीरे सारे शरीर में फैलते हैं तथा इन दागों में कोई पीड़ा नहीं होती है।
 या अन्य मांसाहार, शराब, तंबाकू से परहेज करें।
लौकी को उबालकर इसका पानी पियें |
आलू, उड़द, गन्ना, प्याज, मक्खन, दूध, जामुन, मिठाई, केला न खाएं।
दूध और मछली या दूध और मांस एक साथ सेवन न करें। इन चीजो का सफेद दाग में विशेष तौर पर परहेज रखें
दूध से बनी चीजों का सेवन कम कर दें, मिठाई, रबडी, दही का एक साथ खाने में शामिल न करें।
तिल, गुड़ और दूध भी एक साथ सेवन न करें।
खट्टी चीजें जैस इमली, खटाई, नीबू, संतरा, आम, अंगूर, टमाटर, आंवला, अमरुद, आलूबुखारा, अचार, दही, लस्सी, मिर्च, मैदा, उड़द दाल न खाएं। इन चीजो का सफेद दाग में परहेज रखें |

कैंसर रोगी ध्यान दे


कैंसर एक किस्म की बीमारी नहीं होती, बल्कि यह कई रूप में होता है। कैंसर के 100 से अधिक प्रकार होते हैं। अधिकतर कैंसरों के नाम उस अंग या कोशिकाओं के नाम पर रखे जाते हैं जिनमें वे शुरू होते हैं- उदाहरण के लिए, बृहदान्त्र में शुरू होने वाला कैंसर पेट का कैंसर कहा जाता है, कैंसर जो कि त्वचा की बेसल कोशिकाओं में शुरू होता है बेसल सेल कार्सिनोमा कहा जाता है।
               
कैंसर शब्द ऐसे रोगों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिसमें असामान्य कोशिकाएं बिना किसी नियंत्रण के विभाजित होती हैं और वे अन्य ऊतकों पर आक्रमण करने में सक्षम होती हैं। कैंसर की कोशिकाओं रक्त और लसीका प्रणाली के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं।
                     
मित्रो कैंसर हमारे देश मे बहुत तेज़ी से बड़ रहा है । हर साल बीस लाख लोग कैंसर से मर रहे है और हर साल नए Cases आ रहे है । और सभी डॉक्टर्स हाथ-पैर डाल चुके है ।

            कैंसर में क्या खाएं

1. हरी सब्जियां खाएं :– कैंसर रोग में हरी सब्जियां जैसे फूलगोभी,पत्तागाोभी और ब्रोकली , पालक, मेथी आदि को सेवन में सामिल करना चहिये क्यूंकि ये हरी सब्जियां डिटोक्सीफिकेशन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाते हैं, जो कैंसर की कोशिकाओं को मारते हैं।

2. ताजे फल खाएं :- कैंसर रोग में ताजे फल जैसे अंगूर , पपीता , तरबूज , अमरुद आदि का सेवन करना चहिये क्यूंकि ये फल कैंसर को होने से रोकते हैं।

3. ताजा रस पियें :- सुबह-सुबह प्रतिदिन नीबू , संतरा , मौसमी का जूस पीना चहिये ये भी कैंसर के खतरे को टालते हैं।

4. ड्राई फ्रूट्स खाएं :- ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम, किसमिस, छुआरे, मुनक्का आदि का सेवन करना चहीये ये सभी कैंसर के फैलाब को रोकते हैं।

5. लहसुन के सेवन करें :- कैंसर रोग में रोगी का लहसुन का सेवन करना चहिये ये कैंसर रोग के खत्म होने की क्षमता रखता है क्यूंकि ये शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखता है।

6. गो मूत्र पिए :- कैंसर रोग में गौ मूत्र और ज्वारे का रस पीना चहिये क्यूंकि ये कैंसर को खत्म करते।

7. ग्रीन टी पिए :- ग्रीन टी पीने से भी ब्रैस्ट कैंसर से छुटकारा मिलता है।

8. प्रोटीन का सेवन :- कैंसर रोग में प्रोटीन का अधिक सेवन करना चहिये प्रोटीन के स्रोत्र जैसे चना, मटर, मूंग, मसूर, उड़द, सोयाबीन, राजमा, लोभिया, गेहूँ, मक्का प्रमुख हैं।

           कैंसर में क्या नही खाएं

1. नशीले पदार्थ :- नशीले पदार्थ जैसे तम्बाकू, कुबेर, गुटका, सिगरेट बिंडी, इत्यादि का सेवन न करें। क्यूंकि ये सभी कैंसर को बढ़ावा देते हैं।

2. कैलोरी वाला भोजन :- ज्यादा केलोरी वाले का खाने का सेवन जितना हो सकें उतना ही कम करें। क्यूंकि कैंसर रोग में जादा कैलोरी का सेवन परेशानी बढ़ा सकता है।

3. स्वादनुसार नमक :- कभी भी खाना पकने के बाद ऊस पर ऊपर से नमक नहीं डालना चहिये खाना बनते समय ही नमक डालना चहिये केवल स्वादनुसार ही नमक खाना चहिये।

4. मॉस का सेवन न करें :- ज़्यादा चर्बी वाला भोजन न करें। माँस, तला भुना खाना आदि को अपने सेवन में सामिल न करें क्यूंकि ये आसानी से पचते नहीं हैं।

5. मीठे पदार्थ का सेवन :- कैंसर रोग में मीठे पदार्थों का सेवन नहीं करना चहिये क्यूंकि ये परेशानी बढ़ा सकते हैं।

6. सैचुरेटिड फूड्स न खाएं :- कैंसर होने पर सैचुरेटिड फूड्स बहुत हाई एमाउंट में नहीं खाने चाहिए अगर आप खाना चाहते हैं तो कम मात्रा में खाएं।

           कैंसर से बचने के उपाय

1. तली हुई चीजो का सेवन न करें :- ज्यादा से ज्यादा तली हुई चीजो का सेवन न करें और खाने में डालडा घी की जगह सुद्ध देशी तेल जैसे सरसों ,नारियल ,मूँगफली का सेवन करें।

2. जाँच कराएँ :- जब भी आपको लक्षण को देखकर लगे की ये कैंसर के लक्षण है तो समय पर जाँच करा लेनी चहिये।

3. योन सम्बन्ध :- ज्यादा लोगों से योन सम्बन्ध नहीं बनाने चहिये अगर किसी को कैंसर है।

4. पैन किलर दवा :- पैन किलर या दर्द निवारक दवा का सेवन बहुत कम मात्रा में करना चहिये या फिर इनकी आदत छोडनी चहिये।

5. योगासन करें :- सुबह-सुबह जग कर योग करने चहिये घूमना चहिये इनसे व्यक्ति बीमारियों से दूर रहता है।

6. वेग न रोकें :- कभी भी अपने वेग नहीं रोकने चहिये वेग मतलब छींक आना , बाथरूम आना , हंसी आना आदि इनको कभी भी नही रोकना चहिये।

7. वजन कम करें :- अगर आपका वजन जादा है तो अपना वजन कर करें ये भी एक कैंसर का कारण है।

8. तनावमुक्त रहें :- कभी भी चिंता न करें और कोई भी मानसिक कार्य जादा न करें और खुश रहें।

प्राणायाम करें
सुबह-सुबह थोड़ी-थोड़ी सेर कराएँ और और प्राणायाम कराएँ जेसे अनुलोम विलोम , कपालभाती इन दोनों प्राणायाम को करने से कोई भी बीमारी पास नहीं आ सकती और अगर कोई बीमारी है तो वो भी जल्द ही ठीक हो जाएगी। – योग से कैंसर का इलाज

कपालभाती
अनुलोम – विलोम


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