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हमारा ब्लॉग आयुर्वेद से संबंधित है और हम हर प्रकार की बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक सलाह देते हैं| यदि आपको बीमारियों से संबंधित आयुर्वेदिक उपचार की आवश्यकता है तो आप हमारा ब्लॉक फॉलो कर सकते हैं|

योग करने का सही समय कब होता है?

1. सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है 2. खाना खाने के कुछ घंटे बाद ही योग अभ्यास करें 3. योग शुरू करने के पहले खुद को तनावमुक्त और मन को शांत कर लें 4. चुने हुए समय पर ही नियम से योग करें 5. शरीर में आए बदलाव को अनुभव करने के लिए नियमित रूप से योग करें 6. योग का अभ्यास ज़्यादा न करें

कैंसर से बचना है तो पहले अपनी आदतें बदलें : अध्ययन


हमारी सेहत कई बार हमारी आदतों की वजह से बनती या बिगड़ती है। भागदौड़ भरी जिंदगी में खाने और सोने की हमारी आदतों की वजह से कई गंभीर रोगों की चपेट में आ रहे हैं। हाल में हुए एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने इस बात का खुलासा किया है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में हर साल कैंसर के 26 हजार मामलों को सिर्फ बेहतर लाइफस्टाइल से बचाया जा सकता है। इसी तरह पुरुषों में 24 हजार कैंसर के मामले स्वस्थ रहन-सहन से संबंधित होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलाएं अगर शराब का सेवन कम करें और खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ा दें, तो हर हफ्ते 500 कैंसर के मामलों कमी आ सकती है। शोध में कहा गया है कि प्रसंकृत मीट और शारीरिक सक्रियता में कमी इस समस्या में इजाफा करते हैं।

कैंसर रिसर्च यूके में हुए इस अध्ययन में निदेशक एलिसन कॉक्स ने कहा कि हर दिन उठाया गया सकारात्मक कदम हमें गंभीर बीमारियों से बचा सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि इस बात की गारंटी तो कोई नहीं दे सकता है कि स्वस्थ रहन-सहन से कैंसर नहीं होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे जीवन के खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

कम करें शराब और प्रसंस्कृत मीट
पूर्व में हुए अध्ययनों में कहा गया है कि शराब सात तरह के कैंसर का कारण हो सकती है। इससे हर साल कैंसर के तीन फीसदी मामले होते हैं। शराब में एसिटलडिहाइड रसायन होता है, जो डीएनए को न सिर्फ क्षतिग्रस्त करता है, बल्कि उसकी मरम्मत में भी बाधा उत्पन्न करता है। यह ऑस्ट्रोजेन हॉर्मोन में भी इजाफा करता है, जिससे स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अधिक मात्रा में शराब के सेवन से लिवर क्षतिग्रस्त हो सकता है और ट्यूमर बनने की आशंका बढ़ जाती है।

प्रसंस्कृत मीट में कुछ ऐसे रसायन होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से भी उत्पन्न होते हैं और इसमें मिलाए भी जाते हैं। इनसे कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसके अत्यधिक इस्तेमान से कोलोन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

फाइबर और व्यायाम की शरण में जाएं
फाइबर पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है, लिहाजा इसके सेवन से पेट की सेहत दुरुस्त रहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि फाइबर की वजह से हम जो कुछ भी खाते हैं उसके शरीर से बाहर निकलने में अधिक समय नहीं लगता है। जो चीजें पाचन में दिक्कत पैदा करती हैं, असल में वही कैंसर का कारण होती हैं।

व्यायाम या शारीरिक सक्रियता हमारे शरीर में बनने वाले ऑस्ट्रोजेन और इनसुलिन हॉर्मोन का स्तर घटाती हैं। इनके बढ़े हुए स्तर स्तन और गर्भाशय कैंसर का कारण बनते हैं। इसके अलावा सक्रियता से वजन नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है, जो अपने आप में कई समस्याओं की जड़ होता है।

निपाह वायरस का आयुर्वेदिक इलाज


दोस्तों आप सभी निपाह वायरस के बारे में रोज सुन या पढ रहे होंगे। यह एक प्रकार का वायरस है, जो जानवरो से इंसानो में आ रहा है। खासतौर पर चमगादड़ और सुअरों से। ये वायरस इतना खतरनाक है कि इसके शरीर में प्रवेश करने के 24 घन्टों के भीतर ही आदमी कोमा में चला जाता है और समय पर इलाज ना मिलने के कारण इंसान की मौत हो जाती है।

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इससे बचने के लिए ये अलर्ट जारी किया गया है कि चमगादड़ और सूअर जैसे जानवरो से सावधान रहे। कुछ चमगादड़ फलों का रस पते है इसीलिए आप फल खाते समय सावधान रहे। ऐसे किसी भी फल का सेवन ना करें जीनमें छेद हो या वो पहले से कटा हुआ हो।

निपाह वायरस की पहचान

बुखार आना
ऊल्टीयां आना
दिमाग भ्रमित होना
मांसपेशियों में दर्द
सिर दर्द और बेहोस होना
निमोनिया का असर

निपाह वायरस के इलाज के लिए आयुर्वेदिक उपाय

200 ग्राम सरसों के तेल में 20 ग्राम लौंग मिलाकर उसे 20 मिनट तक गर्म करें। सरसों तेल और लौंग से निकलने वाला भाफ किसी भी तरह के वायरस को मारने में पूरी तरह से खत्म कर सकता है।

2 चम्मच चीरायता का चूरण 2 गिलास पानी में मिलाकर तब तक जब तक पानी आधा गिलास न बचे। उबलने के बाद इसे अच्छे से छान कर पीए। इससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।


आप सभी ने गन्धक रसायन के बारे में सुना होगा। बाजार मैं इसकी गोली मिल जाती है। रोज सुबह शाम गर्म पानी से एक एक गोली का सेवन करे। यह किसी भी वायरस को रोकने में और उसे खत्म करने में बहुत उपयोगी है।

दोस्तों इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे, ताकि इस वायरस की चपेट में आए हुए लोगों तक ये जानकारी पहुंच सके। यदि आप इस वायरस से पीडितों की मदद करना चाहते है तो किसी भी Add पर Click करें। इस माह Adds से होने वाली सारी कमाई इस वायरस से पीडित व्यक्ति के इलाज पर खर्च किया जाएगा।

सोरायसिस का रामबाण घरेलू इलाज

सोरायसिस एक बहुत ही खतरनाक बिमारी है। यह शरीर के किसी भी भाग में एक छोटे से धब्बे के रूप शुरू होता है और देखते ही देखते पूरे शरीर में फैल जाता है। सोरायसिस एक प्रकार का चर्म रोग ही होता है लेकिन ये इतनी विक्राल अवस्था में होता है कि इसका पूरी तरह से इलाज बहुत कठिन हो जाता है। कुछ आयुर्वेदिक औषधियां है जिनके नियमित सेवन से सोरायसिस को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

4 ग्राम चिरायता को 4 ग्राम कुटकी के साथ मिलाकर किसी शीशे के बर्तन में या चीनी मिट्टी के बर्तन में डाल दें। उसके बाद उसमें 125 ग्राम पानी डालकर उसे ढक कर रख दें। सुबह उठकर इस पानी को छानकर खाली पेट पी लें। और फिर उसी बर्तन में 125 ग्राम पानी मिलाकर उसे ढककर अगले दिन के लिए रख दें। एक बार चिरायता और कुटकी मिलाने पर 4 दिन तक उसके पानी का सेवन करें। पांचवें दिन फिर उसमें 4 ग्राम चिरायता और 4 ग्राम कुटकी मिलाकर 125 ग्राम पानी के साथ भिगो दें। एक बार चिरायता और कुटकी मिलाने के बाद 4 दिन तक ही उसके पानी का सेवन करें पांचवे दिन नए चिरायता और कुटकी का प्रयोग करें।
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चिरायता और कुटकी के मिश्रण से बनने वाला यह पानी सोरायसिस या किसी भी प्रकार के चर्म रोग को जड़ से खत्म कर देता है। जिन लोगों को खून की अशुद्धि से संबंधित कोई समस्या है वह लोग भी इस पानी का सेवन कर सकते हैं। जापानी खून को साफ करने में भी बहुत लाभदायक है। इस पानी के सेवन से खून से सभी विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और खून पुनः शुद्ध हो जाता है।

यदि यह पानी आप किसी बच्चे को पिला रहे हैं तो ध्यान रखें कि उसे दो चम्मच से ज्यादा ना पिलाएं। इस पानी के लगातार दो महीने तक सेवन के बाद फर्क आपको स्वता ही दिख जाएगा। आप देखेंगे कि आपका चर्म रोग या सोराइसिस काफी हद तक ठीक हो गया है। यह पानी शरीर को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता इसीलिए आप चाहें तो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने के लिए इस पानी का सेवन लंबे समय तक कर सकते हैं।

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नपुंसकता और शीघ्र पतन का इलाज

हमारे बचपन में हम बहुत सारी गलतियां करते है। उनमें से कुछ गलतियां ऐसी होती है जिसकी सजा हमें जवानी में भुगतना पड़ता है लेकिन शर्म के कारण हम किसी को बता नही पाते है। जिसका असर हमारे वैवाहिक जीवन पर भी पड़ता है।

मंद कामेच्छा
नपुंसकता
शुक्राणु की कमी
शीघ्र स्खलन
शीघ्र पतन
वीर्य पतला होना
स्वपन दोष

उपर बताई गई किसी भी समस्या से आप परेशान है तो इन औषधीयों का सेवन करें। इन औषधीयों के चमत्कारी लाभों को देखा गया है। ये औषधीयां वो लोग भी प्रयोग कर सकते है जो एलोपैथी इलाज करवा के थक चुके है।
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200 ग्राम सुवाणभस्म
02 ग्राम रजचभस्म
20 ग्राम सालमपंजा
10 ग्राम बंगभस्म
05 ग्राम रससिंदुर
15 ग्राम मकरध्वज
20 ग्राम शुद्ध शिलाजीत
10 ग्राम पुष्पधन्वारस
10 ग्राम शंखभस्म
10 ग्राम प्रवाल पिष्टी
30 ग्राम अश्वगंधा
30 ग्राम इलायची
20 ग्राम शतावर जड़
10 ग्राम जायफल
20 ग्राम पिपली
10 ग्राम अक्कलकरा
20 ग्राम विदारीकंद
20 ग्राम गुरुची घनसत्व
20 ग्राम गोखरू
10 ग्राम लोंग

इन सभी औषधियों को किसी अच्छे दुकान से उच्च गुणवत्ता की ले। इन सब का पाउडर बनाने के बाद सब को एक साथ मिला दे। सभी औषधियों को अच्छी तरह मिला लेने के बाद इसको कांच की शीशी में भरकर रख दें। सुबह शाम 4 ग्राम औषधि में 4 ग्राम मिश्री का पाउडर मिलाकर 200 ग्राम गुनगुने दूध के साथ इसका सेवन करें। मात्र 2 माह तक इसका नियमित प्रयोग करने से आपको अपने शरीर में कुछ चमत्कारी फायदे भी नजर आएंगे। इन औषधियों का प्रयोग 9 माह से 1 वर्ष तक करने के बाद आपकी समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।


टायफाइड का घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज

टायफाइड एक ऐसी बिमारी जो शरीर को अन्दर से पूरी तरह तोड़ देती है। इस बिमारी के होने पर सबसे पहले शारीरिक कमजोरी होती है। कमजोरी इतनी भयानक होती है कि शरीर को बिस्तर पर हिलाना भी कठिन हो जाता है। इसीलिए इस बिमारी का इलाज दर्द भरा होता है। हर रोज 15 दिनों तक सुबह शाम इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। आज हम आप सभी को इस बिमारी के लिए आयुर्वेदिक उपाय बताते है।

1. एक चिटकी दालचीनी के चूर्ण को शहद में मिलाकर उसका सेवन करें। इससे टायफाइड जैसे खतरनाक रोग से बचा जा सकता है।

2. इस रोग में होने वाली कमजोरी से बचने के लिए मूंग का पानी या चावल की रब (माड़) का सेवन करे। ये दोनों ही शक्ति प्रदान करने वाले आहार है।

3. इस रोग से पीडित रोगी को दूध पिलाने के बाद नारंगी खिलाए।
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4. साबूत मुन्नका को बिच से चीर कर उसमें थोड़ा सा काला नमक लगाने के बाद उसे तवे पर थोड़ा सेक कर खाने से इस बिमारी मैं बहुत लाभ होता है।

5. इस रोग में रोगी प्यास बहुत लगती है। आधा लीटर पानी में 5 लौंग मिलाकर उसे उबाल कर ठंडा कर ले। थोडी थोडी देर पर यही जल रोगी को पीने के लिए दे।

6. बुखार तेज होने पर लौकी के टुकड़े पौर के तलवे पर रगड़ने से बुखार उतर जाता है।

7. 3 ग्राम अजमोद को चूर्ण शहद में मिलाकर खाने से इस रोग में बहुत लाभ होता है।

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ऑयली स्किन का घरेलू इलाज

ऑयली स्किन ड्राई स्किन की अपेक्षा ज्यादा गंदी हो जाती है, क्योंकि ऑयली स्किन पर धूल और मिट्टी सबसे ज्यादा झपकती है। कई लोगों का चेहरा ऑइली स्किन की वजह से खराब हो जाती है क्योंकि ऑयली स्किन होने की वजह से उस पर धूल और मिट्टी चिपकती है जिसके कारण चेहरे पर दाग धब्बे और पिंपल्स हो जाते हैं। बहुत सारे लोग जन्म से ही पहले स्क्रीन के शिकार होते हैं लेकिन फिर भी इस समस्या का समाधान संभव है। आज हम आपको कुछ घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जो वाली स्क्रीन की समस्या को दूर कर सकते हैं।
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इस उपाय को करने से पहले आप किसी अच्छे फेस वाश से अपने चेहरे को अच्छी तरह धो लें। भूलने के बाद चेहरे को सूती के कपड़े से या किसी ऐसे कपड़े से पूछ हैं जिससे आपके चेहरे में और अगर ना लगे। यह सब करने के बाद आप नीचे वाले तरीके को अपनाएं।

आपको हल्दी दालचीनी और ग्रीन टी लेकर उसे गर्म पानी में डाल देना है। इसके बाद आप अपने सिर को अच्छी तरह तोलिए से बांध लीजिए और उस गर्म पानी के भाप को अपने चेहरे पर आने दे। जितनी ज्यादा देर संभव हो आप भाग लेते रहे। यदि भाग की जलन बर्दाश्त से बाहर हो जाए तो कुछ समय आराम कर सकते हैं। उसके बाद फिर से यही तरीका अपनाएं। जब पानी ठंडा हो जाए तो उसे हटा दें और अपने चेहरे को धीरे-धीरे तौलिए से साफ करें। यह उपाय कुछ ही दिनों में आपकी ऑयली स्किन के समस्या को दूर कर देगी।

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घुटनों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक औषधि

बढ़ती उम्र के साथ शरीर के कई अंग कमजोर पड़ने लगते हैं। कुछ रंग तो ऐसे भी होते हैं जो हमेशा के लिए काम करना बंद कर देते हैं। कुछ रंग ऐसे होते हैं जो आजीवन तकलीफ देते हैं। उन्हीं अंगों में से एक अंग है हमारा घुटना। बढ़ती उम्र के साथ हमारे घुटने बहुत तेजी से कमजोर होते जाते हैं। अकारण ही उसमें दर्द होता रहता है। ऐसा लगता है जैसे मानो वहां की हड्डियां बिल्कुल कमजोर हो गई हों। आज हम इसी समस्या के समाधान के लिए कुछ औषधियों के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके लिए कृपया आप इस पूरे पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

1. मेथी के दाने से घुटने का उपचार- मेथी दाने को अच्छी तरह पीसकर उसका पाउडर बना लें उसके बाद हर रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी दाना का पाउडर एक गिलास पानी के साथ खा ले। इसके साथ ही आप चाहे तो रात को 15 से 20 मेथी के दाने पानी में भिगो दें और सुबह उठकर उसे पानी सहित निकल ले। यह प्रक्रिया कम से कम तीन महीनों तक जारी रखें। इससे घुटनों की बीमारी का अंत होता है। इस उपचार को हर उम्र के स्त्री या पुरुष अपना सकते हैं।
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2. घुटने की समस्या के समाधान के लिए अदरक का उपयोग- चाय तो आप लोग रोज पीते होंगे। यदि उस चाय में अदरक की मात्रा को बड़ा कर पिए तो आपके घुटनो की समस्या भी ठीक हो जाएगी। यदि आप अदरक का रस निकालने में सक्षम है तो अदरक के रस में नींबू और शहद मिलाकर उसका सेवन करें। यदि कही से अदरख का तेल मिल जाए तो उसे लाकर अपने घुटनों पर मालिश करे, इससे घुटनों का दर्द व अन्य प्रकार की समस्या भी समाप्त हो जाती है।

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