Android App

भारत की आवाज

हमारा ब्लॉग आयुर्वेद से संबंधित है और हम हर प्रकार की बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक सलाह देते हैं| यदि आपको बीमारियों से संबंधित आयुर्वेदिक उपचार की आवश्यकता है तो आप हमारा ब्लॉक फॉलो कर सकते हैं|

योग करने का सही समय कब होता है?

1. सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है 2. खाना खाने के कुछ घंटे बाद ही योग अभ्यास करें 3. योग शुरू करने के पहले खुद को तनावमुक्त और मन को शांत कर लें 4. चुने हुए समय पर ही नियम से योग करें 5. शरीर में आए बदलाव को अनुभव करने के लिए नियमित रूप से योग करें 6. योग का अभ्यास ज़्यादा न करें

हल्दी वाला दूध पीने के फायदे - Benefits of drinking turmeric milk



रात को सोते समय देशी गाय के गर्म दूध में एक चम्मच देशी गाय का घी और चुटकी भर हल्दी डालें . चम्मच से खूब मिलाकर कर खड़े खड़े पियें. - इससे त्रिदोष शांत होते है.

- संधिवात यानी अर्थ्राईटिस में बहुत लाभकारी है. - किसी भी प्रकार के ज्वर की स्थिति में , सर्दी खांसी में लाभकारी है.

- हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है. यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है.

- वजन घटाने में फायदेमंद गर्म दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा चर्बी घटती है. इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद तरीके से वजन घटाने में सहायक हैं।

loading...

- अच्छी नींद के लिए हल्दी में अमीनो एसिड है इसलिए दूध के साथ इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है.अनिद्रा की दिक्कत हो तो सोने से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें.

- दर्द से आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया से लेकर कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है. इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है.

- खून और लिवर की सफाई आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और लिवर को साफ करता है. पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका सेवन फायदेमंद है.

- पीरियड्स में आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से पीरियड्स में पड़ने वाले क्रैंप्स से बचाव होता है और यह मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है.

- मजबूत हड्डियां दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है और हल्दी में एंटीऑक्सीडेट्स भरपूर होते हैं

शरीर में तेजी से खून बढ़ाने के घरेलु उपाय- Home remedies for increasing blood rapidly in the body



शरीर में खून की कमी से बहुत बीमारियां लग सकती हैं। जिस वजह से इंसान कमजोर हो जाता है और उसका शरीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता है। इसलिए महिलाओं और पुरूषों को शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने के लिए इन आयुवेर्दिक उपायों को अपनाना चाहिए।

1. तिल और शहद

दो घंटे के लिए 2 चम्मच तिलों को पानी में भिगों लें और बाद में पानी से छानकर इसका पेस्ट बना लें। अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार सेवन करें।

2. काफी और चाय खतरनाक

काफी और चाय का सेवन कम कर दें। एैसा इसलिए क्योंकि ये चीजें शरीर को आयरन लेने से रोकते हैं।

3.ठंडा स्नान

दो बार दिन में ठंडे पानी से नहाए और सुबह नहाने के बाद सूरज की रोशनी में बैठें।

4. अंकुरित भोजन

आप अपने भोजन में गेहूं, मोठ, मूंग और चने को अंकुरित करके उसमें नींबू मिलाकर सुबह का नाश्ता लें।

5. आम

पके आम के गुदे को मीठे दूध के साथ सेवन करें। एैसा करने से खून तेजी से बढ़ता है।

6. मूंगफली और गुड़

शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए मूंगफली के दानों को गुड़ के साथ चबा-चबा कर सेवन करें।

7. सिंघाड़ा

सिंघाड़ा शरीर में खून और ताकत दोनो को बढ़ाता है। कच्चे सिंघाड़े को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर तेजी से बढ़ता है।

8. मुनक्का, अनाज, किशमिश, दालें और गाजर

मुनक्का, अनाज, किशमिश, दालें और गाजर का नियमित सेवन करें और रात को सोने से पहले दूध में खजूर डालकर उसको पीएं।

9. फलो का सेवन

अनार, अमरूद, पपीता, चीकू, सेब और नींबू आदि फलो का अधिक से अधिक सेवन करें।

10. आंवले और जामुन का रस

आंवले का रस और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।

11. टमाटर का रस

एक गिलास टमाटर का रस रोज पीने से भी खून की कमी दूर होती है। इसलिए टमाटर का सूप भी बनाकर आप ले सकते हो।

12. हरी सब्जिया

बथुआ, मटर, सरसों, पालक, हरा धनिया और पुदीना को अपने भोजन में जरूर शामिल करें।

13. फालसा

फालसे का शर्बत या फालसे का सेवन सुबह शाम करने से शरीर में खून की मात्रा जल्दी बढ़ती है।

15. सेब का जूस

सेब का जूस रोज पीएं। चुकंदर के एक गिलास रस में अपने स्वाद के अनुसार शहद मिलाकर इसे रोज पीएं। इस जूस में लौह तत्व ज्यादा होता है

गठिया रोग का रामबाण इलाज - Arthritis Treatment of Arthritis


गठिया
गठिया के उपचार के लिए आजमायें आयुर्वेदिक चिकित्‍सा।आयुर्वेद के अनुसार यह समस्‍या आम-वात से जानी जाती है।आयुर्वेद में इसका उपचार योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है।उपचार में एरंड के तेल के साथ दूध का सेवन है फायदेमंद है।

सामान्‍यतया गठिया रोग 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को होता है, लेकिन वर्तमान में इसकी चपेट में युवा ही नहीं बच्‍चे भी आ रहे हैं। गठिया का रोग यानी आर्थराइटिस से शरीर के जोड़ो में दर्द और सूजन आ जाती है। गठिया रोग अचानक नहीं होता बल्कि धीरे-धीरे फैलता है इसलिए गठिया का सही उपचार जरूरी है।

जरूरी नहीं है कि आप गठिया के उपचार के लिए एलोपैथ की शरण में ही जायें, इसके लिए आप आयुर्वेद का सहारा ले सकते हैं। आयर्वेद के जरिये गठिया के सभी प्रकारों जैसे - रूमेटायड आर्थराइटिस, ऑस्टियो आर्थराइटिस, गाउट, जुवेनाइल आर्थराइटिस और ऐंकलूजिंग स्पोंडीलोसिस आदि का उपचार आसानी से कर सकते हैं। इस लेख में विस्‍तार से जानिये आयुर्वेद के जरिये गठिया का कैसे कर सकते हैं उपचार।

                    *आयुर्वेद और गठिया*

आमतौर पर गठिया होने का प्रमुख कारण आनुवांशिक होता है, लेकिन कई बार किसी भयंकर बीमारी या संक्रमित रोग के कारण भी गठिया रोग हो जाता है। आर्थराइटिस को आयुर्वेद में आम-वात के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गठिया होने के कारकों में खराब पाचन, खानपान की गलत आदतें और निष्क्रिय जीवनशैली के साथ ही वात दोष को माना गया है।

                          *दिनचर्या*

गठिया में सिर्फ आयुर्वेदिक औषधियां ही नहीं बल्कि अच्छी खुराक लेने की सलाह भी देनी चाहिए। दरअसल, आयुर्वेद के इलाज के दौरान, गठिया के मूल कारणों को खोजने और फिर उसका सही रूप में उपचार करने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। यदि किसी व्यक्ति में गठिया रोग वात बिगड़ने और दोषपूर्ण पाचन की वजह से हुआ है तो आयुर्वेद में उसके इलाज स्वरूप रोगी की असंतुलित शारीरिक ऊर्जाओं को शांत करने और पाचन क्षमता बेहतर करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।

                  *आयुर्वेदिक उपचार*

आयुर्वेद के अनुसार गठिया के उपचार में जितनी जरूरी इसकी चिकित्सा है, उससे कहीं अधिक जरूरी परहेज भी है। रोगी के लिए विशेष प्रकार के व्यायाम कराए जाते हैं और सप्ताह में एक से दो बार सोने के पहले 25 मिलीलीटर एरंड के तेल का दूध के साथ सेवन कराते हैं। इसके अलावा लक्षणों व रोग की गंभीरता के आधार पर उपचार किया जाता है। उपचार के दौरान रोगी को दर्द कम करने के लिए एंटी-रुमे‍टिक और एंटी-इंफ्लेमेट्री दवाएं दी जाती हैं साथ ही भरपूर आराम करने की सलाह दी जाती है।

                         *खानपान*
आयुर्वेद के अनुसार मरीजों के लिए खानपान पर विशेष ध्‍यान देना चाहिए। अधिक तेल व मिर्च वाले भोजन से परहेज रखें और डाइट में प्रोटीन की अधिकता वाली चीजें न लें। भोजन में बथुआ, मेथी, सरसों का साग, पालक, हरी सब्जियां, मूंग, मसूर, परवल, तोरई, लौकी, अंगूर, अनार, पपीता, आदि का सेवन करें। इसके अलावा नियमित रूप से लहसुन व अदरक आदि का सेवन भी इसके उपचार में फायदेमंद है।

अर्थराइटिस के इलाज के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बेहद आवश्यक है, साथ ही पाचन तंत्र का भी बेहतर होना जरूरी है। इसलिए नियमित व्‍यायाम के साथ खानपान का विशेष ध्‍यान रखें।

मधुमेह में रामबाण सिद्ध होती हैं ये सब्जिया - These vegetables are proved in diabetes



मधुमेह रोग ऐसा भयंकर रोग हैं जिसमे कुछ भी खाना पीना हो तो बहुत सोचना पड़ता हैं के क्या खाए क्या ना खाए। ऐसे में कुछ ऐसी सब्जिया हैं जिनका सेवन मधुमेह के लिहाज से सही तो हैं ही बल्कि इसके सेवन से मधुमेह रोग को कंट्रोल करने में बहुत मदद मिलती हैं। अपने नित्य भोजन में ज़रूर शामिल करे।

आइये जाने इन सब्जियों के बारे में जो मधुमेह का दमन करती हैं।

टमाटर Tomato

मधुमेह में टमाटर बहुत लाभदायक हैं। टमाटर की खटाई शरीर में शर्करा की मात्रा घटाती हैं। मूत्र में शक्कर जाना धीरे धीरे कम हो जाती हैं।

खीरा Cucumber

प्रतिदिन खीरे की सलाद बनाकर खाने और 100 ग्राम खीरे का रस सुबह शाम पीने से बहुत लाभ होता हैं।

लौकी Gourd

मधुमेह में लौकी बहुत लाभ करती हैं। सब्जी, सलाद के रूप में कच्ची लौकी खा सकते हैं। सुबह खाली पेट लौकी का रस पीना मधुमेह में बहुत लाभदायक हैं। लौकी के रस में थोड़ा सेंधा नमक मिला कर पिए।

करेला Bitter gourd

करेला अग्नाशय को उत्तेजित कर इन्सुलिन के स्त्राव को बढ़ाता हैं। करेले में इन्सुलिन प्रयाप्त मात्रा में होती हैं। यह इन्सुलिन मूत्र एवं रक्त दोनों ही की शर्करा को नियंत्रित रखने में समर्थ हैं। मधुमेह में करेले का जूस सब्जी और इसका चूर्ण बेहद फायदेमंद हैं।
इसके जूस और चूर्ण बनाने की विधि आप हमारी इस पोस्ट से यहाँ क्लिक कर के पढ़ सकते हैं।

सेम Bean

सेम में इन्सुलिन पाया जाता हैं। और इसमें रेशा अर्थात फाइबर भी अधिक होता हैं। जो मधुमेह की चिकित्सा में बहुत लाभदायक हैं। मधुमेह के रोगी को सेम की सब्जी और कच्ची सेम का रस एक-एक कप नित्य दो बार पीना चाहिए।

शलगम turnip

शलगम की सब्जी भी मधुमेह में बहुत लाभदायक हैं। इसको भी मधुमेह के रोगी को ज़्यादातर अपने भोजन में जगह देनी चाहिए।

कद्दू Pumpkin

कद्दू में विटामिन सी, आयरन और असंतृप्‍त वसा, एंटीऑक्‍सीडेंट, फॉलिक एसिड भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं, कद्दू का सेवन करने से मधुमेह के रोगियों को बहुत फायदा होता हैं और इस रोग की रोकथाम करने में बहुत मदद मिलती हैं।

*******************************

शुगर (मधुमेह) का सबसे बढ़िया और सबसे सरल आयुर्वेदिक उपचार, जरूर पढ़ें!!

जब किसी व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी होती है। इसका मतलब है वह व्यक्ति दिन भर में जितनी भी मीठी चीजें खाता है (चीनी, मिठाई, शक्कर, गुड़ आदि) वह ठीक प्रकार से नहीं पचती अर्थात उस व्यक्ति का अग्नाशय उचित मात्रा में उन चीजों से इन्सुलिन नहीं बना पाता इसलिये वह चीनी तत्व मूत्र के साथ सीधा निकलता है। इसे पेशाब में शुगर आना भी कहते हैं। जिन लोगों को अधिक चिंता, मोह, लालच, तनाव रहते हैं, उन लोगों को मधुमेह की बीमारी अधिक होती है।

मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रेागी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।

आयुर्वेद की एक दावा है जो आप घर मे भी बना सकते है –

1. 100 ग्राम मेथी का दाना

2. 100 ग्राम तेजपत्ता

3. 150 ग्राम जामुन की बीज

4. 250 ग्राम बेल के पत्ते

इन सबको धुप मे सुखा कर पत्थर मे पिस कर पाउडर बना कर आपस मे मिला ले, यही औषधि है ।

औषधि लेने की पद्धति : सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ ले फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले ले । तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है ।

45-60 दिन अगर आप ये दावा ले लिया तो आपकी डाईबेटिस बिलकुल ठीक हो जाएगी ।

****************************

शुगर रोगियों के लिए रामबाण हैं ये 4 कार्य, जरूर पढ़े!!

अगर आप सुबह उठ कर ये चार कार्य अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेंगे तो आपकी मधुमेह की बीमारी जितनी भी पुरानी क्यों ना हो, कुछ ही दिनों में सही हो जाएगी। ये कार्य दोनों प्रकार की शुगर में लाभदायक हैं। इन कार्यो को करेंगे तो निश्चित ही आपकी मधुमेह की बीमारी जड़ से ख़त्म हो सकती हैं। और आपकी जो दवाये अपना प्रभाव नहीं दिखा रही थी वो भी अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देंगी। आइये जाने इनको।

1. आयल पुलिंग।

सुबह उठ कर सब से पहले बिना ब्रश किये 10 मि ली तेल(सरसों, नारियल, तिल, मूंगफली) कोई भी मुंह में ले कर 15 मिनट तक इसको चबाते रहे। ध्यान रहे इसको निगलना नहीं। इसके बाद में इसको थूक दीजिये।

2. गिलोय की दातुन।

इसके बाद आप गिलोय की दातुन कीजिये, और इसको चबाने पर जो रस निकले उसको अंदर ही निगल लीजिये। अगर किसी कारण आपको गिलोय की दातुन ना मिले तो आप नीम या बबूल की दातुन कर सकते हैं। गिलोय और नीम का रस मधुमेह में अपने आप में रामबाण औषिधि हैं।

3. सुबह की सैर।

सुबह उठ कर पार्क वगैरह पर घूमने जाइए, जितना गति से आसानी से दौड़ लगा सकते हैं दौड़ ज़रूर लगाये। थोड़ी देर कंकर पत्थर वाली जगह पर नंगे पाँव ज़रूर चले। इस से एक्युपंचर होगा, जो मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।

4. योगा।

हर रोज़ 15 मिनट कम से कम योग ज़रूर करे, इसमें भी विशेष 5 मिनट मंडूकासन ज़रूर करे। और कपाल भाति, अनुलोम विलोम जैसे प्राणायाम भी ज़रूर करे। मंडूकासन से पैंक्रियास इन्सुलिन का स्त्राव करना शुरू कर देता हैं जिस से शरीर में फैली ग्लूकोस शरीर के सेल्स ग्रहण कर लेते हैं। और शरीर में शुगर का स्तर कंट्रोल होता हैं।

******************************

मधुमेह के रोगियों के लिए सरल घरेलु नुस्खा |

मधूमेह ( Sugar)

वैसे तो शूगर के सैकडों अनुभूत नुस्खें है लेकिन आज ऐसा नुस्खा जो कि अनुभूत है, सैकडो़ रोगियो पर आजमाया है| इस योग की खासीयत यह है कि यह नये और पुराने रोगियो को 2-3 महीने प्रयोग करने से सदा के लिए शूगर से मुक्ति दिला सकता है| और अगर भविष्य में फिर कभी भी दिक्कत आये तो फिर दोबारा इस प्रयोग को कर सकते हैं. सही होने पर अपने अनुभव ज़रूर शेयर करें.

इस फारमूले को बनाने की सावधानी यही है कि सारी दवा ताजा ही लेनी है ,

जो इस प्रकार है –
१) नीम पत्र
२) जामुन पत्र
३) अमरूद पत्र
४) बेल पत्र
५) आम पत्र
६) गुडमार बूटी ( यह पंसारी से लें, ओर पाउडर बनाकर ही डालें)

सबको सामान भाग लेकर धोकर , कूटकर चटनी जैसा,किसी साफ बर्तन मे डालकर, 16 गुना जल (अर्थात अगर उपरोक्त सामन 100 ग्राम है तो पानी 1600 ग्राम)  डालकर धीमी आँच पर रख दें, जब पानी चोथा हिस्सा (अर्थात 400 ग्राम) रह जाए तब उतारकर, ठंडा होने पर, मल छानकर (अर्थात हाथों से अच्छे से घोट कर फिर छान लें) थोड़ी देर के लिए रख दीजिये, जब पानी निथर जाए तो निथारकर रख ले, दवा तैयार है |
सुबह खाली पेट 20-50 ml तक लें| इसके बाद आधे घंटे तक कुछ भी खाए पियें नहीं.

परहेज- चीनी , चाय, काफी , आलू , मेदा, डालडा घी बिल्कुल बंद कर दें|

यदि आप हमारे देश के  शहीदों को डोनेशन देना चाहते है तो किसी भी  विज्ञापन पर क्लिक करें। विज्ञापन  की कमाई का 30% शहीदों को दान दिया जाएगा।

दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ Facebook WhatsApp और Twitter पर शेयर करना ना भूलें। इसी तरह की और रोचक जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो करें।
 स्वास्थ्य संबंधित जानकारी के लिए आप हमारे पेज पर विजिट करें, अगर आप को पोस्ट अच्छी लगे तो हमें फॉलो जरूर करें।

 किसी भी प्रकार की आयुर्वेदिक दवा मंगवाने के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में दवाई का नाम या बीमारी और अपना मोबाइल नंबर कमेंट करें

महंगी क्रीम नहीं, खूबसूरती के लियें सिर्फ 1 चम्मच नमक - Not only expensive cream, just 1 teaspoon salt for beauty



जी हां, इस मामूली से दिखने वाले नमक के कई ब्यूटी फायदे हैं जो आपको दे सकते हैं ग्लोइंग स्किन और प्रॉब्लम-फ्री बाल.

टोनर
नमक आपके पोर्स को अंदर से साफ करता है और चेहरे के ऑयल को भी बैलेंस रखता है. एक छोटे चम्मच नमक को एक कप पानी में घोलें और स्प्रे बॉटल में भर लें. इसे रोज़ साफ और सूखी त्वचा पर इस्तेमाल करें, आंखों को बचाते हुए.

बैलेंसिंग मास्क
नमक और शहद दोनों में ही एंटी-इनफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज़ होती हैं, जो स्किन को आराम देते हैं और पिंपल्स और जलन कम करते हैं. 2 छोटे चम्मच नमक और 4 चम्मच कच्चा शहद लेकर पेस्ट बनाएं. इसे साफ और सूखी त्वचा पर लगाएं, आंखों को छोड़ते हुए. इसे 10-15 मिनट के लिए छोड़ें. हल्के हाथों से मसाज करें और फिर गर्म पानी में नर्म कपड़ा भिगोकर उससे चेहरा साफ करें.

फेशियल स्टीमर
आधे कप नमक को 3 कप पानी में उबालें और फिर इस पानी से चेहरे पर स्टीम लें. इससे आपके पोर्स खुल जाएंगे और पिंपल्स भी कम होंगे.

फेस स्क्रब
नमक में ऐसे कई मिनरल्स होते हैं जो त्वचा को मुलायम बनाकर इसकी नमी बरकरार रखते हैं. 1 चम्मच नमक को इतने ही ऑलिव ऑल में मिलाएं. इस मिक्सचर से चेहरे को स्क्रब करें और फिर गुनगुने पानी से धो लें.

बॉडी स्क्रब
नमक एक नैचुरल एक्सफॉलिएंट है जो डेड स्किन हटाने में मदद करता है. आधा कप नमक को 1/4 कप ऐलो वेरा जूस या जेल में मिलाएं इसमें अपने पसंद के एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें भी मिला लें. नहाने से पहले इस मिक्सचर से शरीर को स्क्रब करें.

नहाने के लिए
नमक शरीर की सारी गंदगी और धूल को सोखकर शरीर को अंदर से साफ कर देता है. पुराने समय में इसे प्राणिक हीलिंग सिस्टम्स में इंसान को अंदर से साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. बस अपने नहाने के पानी में एक चम्मच नमक डालें और इससे नहाएं. आप तरोताज़ा महसूस करेंगे. आप देखेंगे कि पानी में ज़्यादा देर रहने के बावजूद त्वचा में कम सिकुड़न हुई है, जिसका मतलब है कि ये त्वचा की नमी को बनाए रखने में मदद करता है.

स्वस्थ और चमकते नाखूनों के लिए
नमक आपके क्यूटिकल्स को नर्म कर देता है, इन्हें मज़बूती और चमक भी देता है. एक चम्मच नमक, 1 चम्मच नमक, 1 चम्मच बेकिंग सोडा और 1 चम्मच नींबू के रस को आधे कप गर्म पानी में मिलाएं. अपनी उगलियों को इस घोल में डुबोकर रखें, फिर एक मुलायम ब्रश से स्क्रब करें. हाथों को धोएं और मॉइश्चराइज़ करें. आप अपने हाथों को ऑलिव ऑयल और नमक के मिश्रण से स्क्रब कर के पा सकती हैं मुलायम हाथ.

डैंड्रफ से छुटकारा
नमक स्कैल्प पर जमे फ्लेक्स को लूज़ कर के ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है जिससे स्कैल्प हेल्दी होती है. ये एक्सेस ऑयल को सोखता है और फंगल ग्रोथ भी रोकता है. थोड़ा सा नमक अपने स्कैल्प पर छिड़कें और गीली उंगलियों से मसाज करें और फिर हमेशा की तरह शैम्पू और कंडीशन करें.

सफेद दांतों के लिए
नमक और बेकिंग सोडा दोनों ही दांतों के दाग-धब्बे हटाकर उन्हें साफ करने में मदद करते हैं. 1 चम्मच नमक को 2 चम्मच बेकिंग पाउडर में मिलाएं. अपने टूथब्रश को हल्का भिगोकर इस मिक्सचर से ब्रश करें.

सांस की बदबू
नमक एक नैचुरल डिसइन्फेक्टेंट है जो सांस की बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारता है. आधे चम्मच नमक, आधे चम्मच बेकिंग सोडा को आधे कप पानी में घोलें. इस पानी को मुंह में लेकर अच्छे से कुल्ला करें. और फिर साफ पानी से धो लें.

यदि आप हमारे देश के  शहीदों को डोनेशन देना चाहते है तो किसी भी  विज्ञापन पर क्लिक करें। विज्ञापन  की कमाई का 30% शहीदों को दान दिया जाएगा।

दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ Facebook WhatsApp और Twitter पर शेयर करना ना भूलें। इसी तरह की और रोचक जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो करें।
 स्वास्थ्य संबंधित जानकारी के लिए आप हमारे पेज पर विजिट करें, अगर आप को पोस्ट अच्छी लगे तो हमें फॉलो जरूर करें।

 किसी भी प्रकार की आयुर्वेदिक दवा मंगवाने के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में दवाई का नाम या बीमारी और अपना मोबाइल नंबर कमेंट करें

धातुएं भी करती है सेहत बनाने में मदद- Metals also help in making health



कुछ चीज़ें एक साथ खाने से शरीर को पहुंचता हैं नुकसान। आहार का चुनाव हम अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर करते हैं, ताकि खाना शरीर में जाने के बाद हमे ऊर्जा प्रदान करे, शरीर स्वस्थ रहे और शरीर का संतुलन बना रहे। जिस तरह खाने के अंदर पोषक तत्व रहते हैं, वैसे ही हम खाने के लिए जो पात्र उपयोग में लाते है, उसके भी हमे फायदे और नुक्सान को ध्यान में रखना चाहिए |
इसलिए सही भोजन के साथ सही धातु के बर्तन का चुनाव भी जरूरी होता है, ताकि खाने के गुणों में वृद्धि हो और हमारा शरीर रोगों से दूर रहे।

आप भोजन पकाने और परोसने के लिए कई तरह के पात्र का प्रयोग करते होंगे लेकिन आपको उन धातु के बर्तन में खाना खाने से क्या फायदा और क्या नुक्सान होता है ये पता होना चाहिए
तो आइये जानते है कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है |

1. सोना
सोना एक महँगी धातु है. सोना लाल, सफ़ेद, और पीले रंग में उपलब्ध होता है. लेकिन भारत में सबसे ज्यादा पीला सोना प्रयोग में लाया जाता है. सोने के बर्तन में पहले के राजा महाराजा भोजन करते थे. सोना एक गर्म धातु है. सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है. और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है – आँखों को तेज करता है|

2. चाँदी
सोने के बाद चाँदी की धातु मूल्य में दुसरे नंबर पर होती है. चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है. शरीर को शांत रखती है. इसके पात्र में भोजन बनाने और करने के कई फायदे होते हैं, जैसे दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष , कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है|

3.कांसा
चाँदी के बाद काँसे के बर्तन का मूल्य आता है. यह चाँदी से थोड़ी सस्ती होती है और इसके बर्तन का प्रयोग माध्यम वर्गीय परिवार में अधिक होता है. खास कर गाँव में मेहमान नवाजी के लिए इन्हीं से बने पात्र में भोजन परोसा जाता है. इसके बने पात्र में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है. लेकिन कांस्य खट्टी चीजे नहीं परोसना चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है |

4. तांबा
कांस के बर्तन के बाद तांबे के बने बर्तन का प्रयोग होता है. तांबा के बने बर्तन का हर घर में पूजा पाठ में भी प्रयोग लाया जाता है. इस पात्र का पानी रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध करता है, स्मरण-शक्ति अच्छी रखता है, लीवर संबंधी समस्या दूर करता है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है |

5. पीतल
अनेक घरों में पीतल के बर्तन का भी उपयोग होता है. यह सामान्य कीमत की धातु है. इसमें भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बिमारी नहीं होती |

6. लोहा
लगभग हर घर में लोहे के बर्तन का प्रयोग भी होता है. इसमें बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, इसमें लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है. लोहा कई रोग को खत्म करता है , पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है. इसके पात्र में दूध पीना अच्छा होता है |

7. स्टील
वर्तमान समय में स्टील के बर्तन का उपयोग कुछ ज्यादा होता है. यह बहुत सुरक्षित और किफायती होता है. स्टील के बर्तन नुक्शान्देह नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता |

8. एलुमिनियम
एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है. इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है. यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए. इससे हड्डियां कमजोर होती है , मानसिक बीमारियाँ होती है, लिवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है. उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है. इन बीमारियों का जड़ से इलाज नहीं हो पाता. इसलिए अंग्रेज जेल के कैदी को इसमें खाना परोसा करते थे |

इन सब बर्तनों में खाना पकाने और खाने से कुछ फायदे और कुछ नुकशान होते हैं, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है|

इसलिए इन सारी बातों को ध्यान में रखकर खाना पकाने और खाने के लिए सही बर्तनों को चुनिए |
यदि आप हमारे देश के  शहीदों को डोनेशन देना चाहते है तो किसी भी  विज्ञापन पर क्लिक करें। विज्ञापन  की कमाई का 30% शहीदों को दान दिया जाएगा।

दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ Facebook WhatsApp और Twitter पर शेयर करना ना भूलें। इसी तरह की और रोचक जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो करें।
 स्वास्थ्य संबंधित जानकारी के लिए आप हमारे पेज पर विजिट करें, अगर आप को पोस्ट अच्छी लगे तो हमें फॉलो जरूर करें।

 किसी भी प्रकार की आयुर्वेदिक दवा मंगवाने के लिए आप हमें कमेंट बॉक्स में दवाई का नाम या बीमारी और अपना मोबाइल नंबर कमेंट करें

Followers